सार
siberia zombie virus: कोरोना के बाद एक और महामारी दुनिया को शिकार बना सकती है। रूस ( Russia) ने दावा किया है कि जॉम्बी वायरस जो 48,500 से अधिक साल से बर्फ में जमा हुआ था वो जिंदा हो गया है। यह वायरस इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
हेल्थ डेस्क. दुनिया में पिछले तीन साल से कोरोना ने कहर बरपाया हुआ है। चीनी शहर वुहान में स्थित हुनान बाजार से निकले इस किलर वायरस ने करोड़ों लोगों की जान ले ली। अभी भी इसका खतरा मंडरा रहा है। इस बीच एक डराने वाली खबर रूस से सामने आ रही है। यूरोपीय शोधकर्ताओं ने रूस के साइबेरिया इलाके से दो दर्जन विषाणुओं को एकत्रित किया है। जिसमें एक जॉम्बी वायरस (siberia zombie virus) भी है। जो इंसानी जिंदगी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
दरअसल, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिवर्तन तेजी से प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट को पिघला रहा है। जिसकी वजह से करीब दो दर्जन से ज्यादा विषाणुओं को पुनर्जीवित कर दिया है जो बर्फ में हजारों साल से दबे हुए थे। यह भी दावा किया गया है कि झील के नीचे 48,500 से अधिक साल से बर्फ में जमा हुआ जॉम्बी वायरस भी जिंदा हो गया है।
48,500 साल से बर्फ में दबा था वायरस
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पुराना वायरस जो जिंदा हुआ है उसे पैंडोरावायरस येडोमा कहा जाता है। इसकी उम्र 48,500 साल से ज्यादा बताई जा रही है। इससे पहले साल 2013 में यूरोपीय शोधकर्ताओं की टीम ने इस वायरस को खोजा था। उस वक्त इसकी उम्र 30,000 साल से ज्यादा बताई गई थी। अभी मिला वायरस पहले वायरस का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके फिर से जिंदा होने की वजह से इंसान, पशु और पौधों पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हजारों साल जमीन के नीचे बर्फ में दबे होने के बाद भी यह काफी संक्रामक बने हुए हैं।
मनुष्य और जानवरों को कर सकता है संक्रमित
इस टीम में रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रिसर्च में वायरस को पुनर्जीवित करने का जैविक जोखिम पूरी तरह से नगण्य था। वायरस लक्षित तनावों के कारण फिर से जिंदा हो गए। ये वायरस बहुत खतरनाक हैं। ये मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित करने में सक्षम हैं।
ग्लोबल वार्मिंग से होगी तबाही
रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ पिघल रहा है जिससे जलवायु परिवर्तन बिगड़ जाएगा। इससे जमीने में दबी मीथेन विघटित हो जाएगी। जिससे ग्रीनहाउस पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है और भी कई अज्ञात वायरस बाहर निकल सकते हैं।
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