राजगुरु भगत सिंह के हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए थे। राजगुरु उन क्रांतिकारियों में से थे जो देश के लिए हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दें। राजगुरु ने खुद को अंग्रेजों की प्रताड़ना के सहने के लिए इतना मजबूत बनाया हुआ था वे गर्म लोहे की छड़ों को पकड़ लेते थे।
भारत आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है। 75 वीं वर्षगांठ के इस अवसर पर आज बात भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लड़ाई लड़ने वाले वंचिनाथ अय्यर की। जो अंग्रजों के लिए किसी बुरे सपने से काम नहीं थे। जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं, जिन्होंने अकेले दम पर ही अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक थे वंचिनाथ अय्यर, जिनसे अंग्रेज सरकार भी खौफ खाती थी।
केरल के एक जमींदार परिवार में जन्मी कैप्टन लक्ष्मी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के झांसी रानी रेजीमेंट का नेतृत्व किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। सिंगापुर और मलेशिया में रहने वाले भारतीयों की बेटियां झांसी रानी रेजिमेंट में शामिल हुईं थी।
इनका जन्म 24 अक्तूबर 1914 को एक परंपरावादी तमिल परिवार में हुआ था। मेडिकल के क्षेत्र में इन्होंने स्नातक किया। 1938 में मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया।लक्ष्मी एक स्वतंत्रता सेनानी अम्मू स्वामीनाथन और मद्रास के एक शीर्ष वकील एस स्वामीनाथन की दूसरी बेटी थीं।
पुन्नपरा वायलार के दमन ने शाही सरकार को भारत की स्वतंत्रता जीतने से दो महीने पहले ही एक स्वतंत्र तिरुविथमकूर बनाने की अपनी योजना को दोहराने के लिए प्रोत्साहित किया था। इस संघर्ष में दीवान सर सीपी गंभीर रूप से घायल हो गए
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महाराजा बलराम वर्मा के दीवान सर सीपी रामास्वामी अय्यर ने सशस्त्र सेना का विद्रोह दबाने के लिए मार्शल ला की घोषणा की थी। आखिर कौन थे सर सीपी रामास्वामी अय्यर, आप भी जानें।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) के दौरान कई ऐसे भी लोग थे जो भारत की आजादी के लिए लड़े थे। ऐसे ही एकमात्र क्रिस्चियन रहे टाइटस जो गांधीजी के साथ ऐतिहासिक दांडी यात्रा (dandi yatra) में शामिल रहे।
स्वतंत्रता सेनानियों में रास बिहारी बोस का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनका जन्म 1886 में कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और बाद में इसकी बागडोर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी थी।
आजादी के लड़ाई के लिए जिंदगी भर संघर्ष करते रहे रास बिहारी बोस। शादी उन्होंने एक जापानी लड़की से और जापान की नागरिकता हासिल की। देश में फैली क्रूरता, अकाल और महामारियों ने तबाही मचाई थी इसका भयावह रूप बोस ने देखा था।