वह हसरत मोहानी थे। स्वतंत्रता सेनानी, कवि, कम्युनिस्ट। वह इस्लाम में भी एक दृढ़ आस्तिक थे और एक महान कृष्ण भक्त और साथ ही एक सूफी अनुयायी भी थे। आजादी के अमृत महोत्सव में जानें हसरत मोहानी की कहानी जिन्होंने उठाई थी पूर्ण स्वतंत्रता की आवाज
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इंकलाब जिंदाबाद एक ऐसा नारा बन गया था, जो हर क्रांतिकारी का मूलमंत्र था। जब भी अंग्रेजों के विरोध में आवाजें उठतीं तो इंकलाब जिंदाबाद का ही नारा लगाया जाता था। न जाने कितने क्रांतिकारी तो यह नारा लगाकर फांसी के फंदे पर झूल गए।
एक पत्रकार का नाम था कानपुर का शेर। उन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए शहीद हुए। वह प्रताप के संस्थापक संपादक थे, हिंदी प्रकाशन जो स्वतंत्रता संग्राम का तेजतर्रार मुखपत्र था और उत्पीड़ित लोग भी थे। वे महान गणेश शंकर विद्यार्थी थे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गणेश शंकर विद्यार्थी का नाम अंग्रेजी हुकूमत के लिए मुसीबत का सबब बन गया था। गणेश शंकर विद्यार्थी को कानपुर का शेर कहा जाता था। वे पत्रकार थे और अंग्रेजों के खिलाफ जमकर लिखते थे।
भारत में ब्रिटिश शासन का समर्थन करने वालों में से कुछ ने परोक्ष रूप से भारतीय लोगों के आत्मविश्वास को जगाने का काम किया था। उनमें सबसे अविस्मरणीय नाम है महात्मा ज्योतिबा फुले का, जिन्हें भारतीय सामाजिक क्रांति का जनक भी कहा जाा है
Har Ghar Tiranga: भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है। लोगों को हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए सद्गुरु ने कहा कि हमारी राष्ट्रीयता का यह प्रतीक हमारे दिलों और दिमागों में लहराए और हमें एक मजबूत, समृद्ध और परोपकारी भारत के हमारे दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) के दौरान कई क्रांतिकारी ऐसे भी रहे जिन्होंने भारत में सामाजिक भेदभाव के खिलाफ भी लड़ाईयां लडीं। महात्मा ज्योतिबा फूले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फूले इन्हीं से से एक थे।
भारतीय वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने 1972 में ब्लैक होल की थ्योरी दुनिया के सामने रखी थी। ब्लैक होल की खोज में भी भारत के इस महान वैज्ञानिक की थ्योरी बहुत काम आई थी। सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को उनके विशेष योगदान के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया।
पहला कृत्रिम जीन बनाने वाले भारत के महान वैज्ञानिक हर गोबिंद खुराना (Har gobind khurana) को नोबल पुरस्कार (Nobel prize) मिला था। उन्होंने एक छोटे से गांव से पढ़ाई की और भारत के सबसे बड़े वैज्ञानिक बनने तक का सफर तय किया।
भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं और देश भर में हर घर तिरंगा लहरा रहा है। 13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर पर तिरंगा लहरा रहा है। वहीं इसरो ने भी अपने ही स्टाइल में भारत को बधाई दी है।