सार

स्पेशल कोर्ट ने दोषियों को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सजा सुनाई है। उन्होंने कहा कि तीन अन्य दोषी 15 फरवरी को अदालत में उपस्थित नहीं हो सके थे जिसके चलते अदालत ने तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

रांची/पटना। बहुचर्चित चारा घोटाले के 5वें केस डोरंडा ट्रेजरी मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को 5 साल की जेल और 60 लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई गई है। सोमवार को रांची में सीबीआई की स्पेशल अदालत ने ये फैसला सुनाया। बता दें कि 950 करोड़ के चारा घोटाले में रांची के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में शुरुआत में कुल 170 आरोपी बनाए थे। लेकिन, इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है। 

स्पेशल कोर्ट ने दोषियों को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सजा सुनाई है। उन्होंने कहा कि तीन अन्य दोषी 15 फरवरी को अदालत में उपस्थित नहीं हो सके थे जिसके चलते अदालत ने तीनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। जिन 38 दोषियों को सजा सुनाई गई है, उनमें से 35 बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। जबकि लालू प्रसाद यादव समेत तीन अन्य दोषी स्वास्थ्य कारणों से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती हैं। 

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आइए जानते हैं इस केस की पूरी टाइम लाइन...

  • जनवरी 1996: संयुक्त बिहार में चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया था। यहां चारे की आपूर्ति के नाम पर गैर-मौजूद कंपनियों द्वारा धन की हेराफेरी दिखाई जाती थी।
  • 11 मार्च 1996: मामले में जांच का दवाब बढ़ा। पटना हाइकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाइकोर्ट के आदेश पर सहमति जताई।
  • 27 मार्च 1996: चाईबासा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी (गबन) के मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया।
  • 23 जून 1997: सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों को आरोपी बनाया। इन पर धारा 420 (जालसाजी) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (बी) के तहत 63 केस दर्ज किए गए।
  • 30 जुलाई 1997: विपक्ष का दबाव बढ़ा तो लालू यादव ने रांची की सीबीआई अदालत में सरेंडर किया। लालू न्यायिक हिरासत में भेजे गए। इससे पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया और पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया।
  • 5 अप्रैल 2000: सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। राबड़ी देवी को भी आय से अधिक संपत्ति मामले में सह आरोपी बनाया, लेकिन सरेंडर के बाद कोर्ट ने जमानत दे दी। लालू की जमानत याचिका खारिज हो गई और फिर से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

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  • 5 अक्टूबर 2001: झारखंड राज्य का गठन होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को झारखंड में ट्रांसफर कर दिया।
  • फरवरी 2002: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में सुनवाई शुरू की।
  • दिसंबर 2006: सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू और राबड़ी देवी को आरोपों से बरी कर दिया।
  • जून 2007: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के दो भतीजों समेत 58 लोगों को 1990 में चाईबासा कोषागार से धोखाधड़ी से 48 करोड़ रुपए निकालने के लिए ढाई साल से लेकर 6 साल तक की जेल की सजा सुनाई।
  • मार्च 2012: सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पेश होने के 6 महीने बाद लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए गए। 
  • 13 अगस्त 2013: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रहे निचली अदालत के जज के ट्रांसफर की मांग वाली लालू यादव की याचिका खारिज कर दी।

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  • 17 सितंबर, 2013: सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
  • 30 सितंबर, 2013: सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा समेत 45 अन्य को चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का दोषी ठहराया और पांच साल जेल की सजा सुनाई।
  • फैसले के बाद लालू प्रसाद को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। दोनों जेल से रिहा होने के बाद 6 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाए।
  • मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा समेत अन्य आरोपियों पर 1991-94 में देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की निकासी और रिकॉर्ड्स के फर्जीवाड़े से जुड़े एक आपराधिक मामले में भ्रष्टाचार के लिए अलग-अलग केस चलाया जाएगा।
  • 23 दिसंबर 2017: रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने लालू यादव को देवघर ट्रेजरी से 89.27 लाख रुपए के चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया। मामले में लालू को 3.5 साल जेल की सजा सुनाई गई।
  • 6 जनवरी 2018: चाईबासा ट्रेजरी से 33.13 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से निकासी से संबंधित तीसरे मामले में भी लालू यादव को सजा मिली। इस मामले में भी 5 साल की सजा सुनाई गई।
  • 24 मार्च 2018: स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने लालू को दुमका कोषागार से धोखाधड़ी से 3.76 करोड़ रुपए की निकासी से संबंधित केस में दोषी ठहराया था। कोर्ट ने दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई। दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी। यानी कुल 14 साल जेल की सजा सुनाई और 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 
  • 17 अप्रैल 2021: झारखंड हाइकोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को जमानत दी। लालू रिहा होकर घर आए।
  • 15 फरवरी 2022: डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ के गबन मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया।
  • 21 फरवरी 2022: लालू प्रसाद यादव को 5 साल जेल और 60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
  • 170 आरोपियों में से अब तक 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है। 
  • 7 सरकारी गवाह बने। 2 ने अपना गुनाह कबूल किया। जबकि 6 फरार हैं। कुल 99 आरोपियों में से 24 को बरी कर दिया गया। जबकि 75 को दोषी करार दिया गया है।
  • आज जिन दोषियों को सजा सुनाई गई, उनमें 5 लोगों को 5-5 साल, 3 लोगों को 3-3 साल, 32 लोगों को 4-4 साल की कारावास भुगतनी होगी।

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अब तक लालू यादव 6 बार जेल भी जा चुके
चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। उनसे जुड़ा यह पांचवां केस है। इससे पहले चाईबासा ट्रेजरी से जुड़े 2 केस और देवघर- दुमका के एक-एक केस में लालू को सजा मिल चुकी है। सीबीआई की अलग-अलग अदालतों ने लालू प्रसाद और अन्य आरोपियों को दोषी माना है। अब तक लालू यादव 6 बार जेल भी जा चुके हैं। अभी दुमका ट्रेजरी मामले में जमानत पर बाहर हैं।

पहला केस
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी।  CBI की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था। लालू समेत इन आरोपियों को चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपए अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था। इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी। लालू प्रसाद को पांच साल की सजा हुई थी।

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दूसरा केस
देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके साथ ही उन पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया था।

तीसरा केस 
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था। जिसमें कुल 76 आरोपी थे। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई। सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा।

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चौथा केस
ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए फर्जी तरीके से निकालने का है। सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई थी।