सार

26 अप्रैल, रविवार को वैशाख मास की तृतीया तिथि है। इसे अक्षय तृतीया औऱ् आखा तीज कहा जाता है।

उज्जैन. इस साल आखा तीज पर स्वराशि शुक्र के साथ चंद्र और रोहिणी नक्षत्र का लाभदायी योग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर शुक्र-चंद्र की युति वृषभ राशि में रहेगी। वृषभ शुक्र की राशि है और चंद्र की उच्च राशि है। इस दिन नक्षत्र रोहिणी रहेगा। ये योग 23 वर्षों के बाद बना है। 9 मई 1997 को भी ऐसे ही योगों में आखा तीज आई थी, उस समय गुरु भी नीच का यानी मकर राशि में ही था।

5 ग्रहों का विशेष योग
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस साल अक्षय तृतीया पर सूर्य, चंद्रमा और मंगल अपनी उच्च राशि में रहेंगे, वहीं शुक्र और शनि के स्वराशि में होने से विशेष शुभ संयोग बन रहा है। इन 5 ग्रहों की विशेष स्थिति से इस साल अक्षय तृतीया पर दान और पूजा से मिलने वाला शुभ फल दुगना हो जाएगा। इसके साथ ही इस बार 6 राजयोग भी बन रहे हैं। इस कारण ये पर्व और भी खास रहेगा। 

अक्षय तृतीया पर्व कब से कब तक
इस साल वैशाख माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शनिवार 25 अप्रैल को दोपहर करीब 12:05 पर शुरू होगी और अगले दिन रविवार को दोपहर 1:25 तक रहेगी। लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग 26 अप्रैल को होने से धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाना चाहिए।