सार
हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त देखकर ही किया जाता है, वहीं ज्योतिष शास्त्र में कुछ तिथियां ऐसी भी बताई गई हैं, जिन्हें अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है।
उज्जैन. यानी इन तिथियों पर बिना मुहूर्त के लिए मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। ऐसी ही एक तिथि है अक्षय तृतीया। इस बार ये तिथि 26 अप्रैल, रविवार को है। जानिए क्या है इस तिथि का महत्व-
1. अक्षय तृतीया पर्व पर तीर्थों और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है।
2. इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
3. भगवान को चने की दाल, मिश्री, खीरा और सत्तू का भोग लगाने की परंपरा है। ब्राह्मणों को जौ दान करना चाहिए। इस दिन पानी से भरे मटके, गेहूं, सत्तू और जौ का दान करने का विशेष महत्व है ।
4. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य से मिलने वाले फल अक्षय होता है यानी ये पुण्य हमेशा साथ रहता है।
5. इस तिथि पर सोना-चांदी खरीदना शुभ माना गया है। देवताओं की प्रिय और पवित्र धातु होने से इस दिन सोने की खरीदारी का महत्व ज्यादा है।
6. सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत भी इसी तिथि से हुई है, ऐसी मान्यता प्रचलित है। भगवान परशुराम का अवतार भी इसी दिन हुआ है। बद्रीनाथ के पट भी अक्षय तृतीया पर ही खुलते हैं।
7. अक्षय तृतीया पर सूर्य और चंद्र अपनी-अपनी उच्च राशि में रहते हैं, इस वजह से इस तिथि पर बिना मुहूर्त देखे विवाह किए जा सकते हैं।