सार

नवग्रहों में बृहस्पति को देवताओं का गुरु कहा गया है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरु का बड़ा महत्व होता है। जन्मकुंडली में गुरु (बृहस्पति) यदि बलवान है तो व्यक्ति ज्ञान, सत्कर्म, ईमानदारी, विद्या, बुद्धि, प्रसिद्धि और संपदा के मामले में श्रेष्ठ होता है, लेकिन यदि गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति का जीवन संकटपूर्ण रहता है।

उज्जैन. कई लोगों की जन्मकुंडली नहीं होती है। ऐसी स्थिति में हाथ की तर्जनी उंगली और गुरु पर्वत देखकर गुरु की स्थिति के बारे में जाना जा सकता है।

तर्जनी अंगुली और गुरु पर्वत का अध्ययन
1.
हस्तरेखा में तर्जनी अंगुली बृहस्पति की अंगुली कहलाती है और उसके नीचे बृहस्पति पर्वत होता है। इस पर्वत की स्थिति देखकर पता कर सकते हैं कि उस व्यक्ति का बृहस्पति कमजोर है या मजबूत।
2. इसके लिए ध्यान से तर्जनी अंगुली और गुरु पर्वत का अध्ययन करने की जरूरत होती है। कमजोर बृहस्पति हस्तरेखा शास्त्र में बृहस्पति के कमजोर या मजबूत होने को उसके पर्वत से देखा जाता है।
3. यदि बृहस्पति पर्वत दबा हुआ, रूखा हो तो व्यक्ति का गुरु कमजोर होता है। यदि बृहस्पति पर्वत पर कई लाइनें एक-दूसरे को काटते हुए जाल बनाती है तो व्यक्ति को बृहस्पति की नकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
4. यदि तर्जनी अंगुली मध्यमा अंगुली की तरफ अत्यधिक मुड़ी हुई या झुकती हो तो बृहस्पति कमजोर होता है।
5. यदि बृहस्पति पर्वत उभरा हुआ, लालिमा लिए हुए, चिकना, चमकदार हो तो तो व्यक्ति का गुरु मजबूत होता है।
6. यदि तर्जनी अंगुली एकदम सीधी हो और इसका झुकाव किसी भी ओर ना हो तो बृहस्पति अत्यंत मजबूत होता है।
7. यदि तर्जनी अंगुली बाहर की ओर झुकी हुई हो तो व्यक्ति असंभव कार्य भी आसानी से कर सकता है।

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