सार
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि दान प्रधान है। इस दिन किए गए दान का पुण्य अक्षय होता है। इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया (इस बार 26 अप्रैल, रविवार) कहते हैं।
उज्जैन. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के शुभ संयोग में किए दान का फल कई गुना होकर प्राप्त होता है। ये दान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा के बाद किसी योग्य ब्राह्मण या गरीब, असहाय व्यक्तियों को करना चाहिए-
1. सभी तरह के अनाज
2. पानी से भरा मिट्टी का घड़ा, कलश व वस्त्र
3. कलश के साथ ककड़ी या खरबूजा
4. पंखा, चप्पल या जूते
5. छाता
6. चने का सत्तू
7. दही-चावल
8. मौसमी फल जैसे खरबूजा, आम आदि।
9. खारक
10. गुड़ और अरहर यानी तुवर की दाल
11. गन्ने का रस
12. चना या चने की दाल
13. गर्मी के मौसम में उपयोगी चीजें
14. दूध से बनी मिठाइयां
15. केशर
16. अष्टगंध
17. लाल चंदन
18. शंख
19. चाँदी के बर्तन में घी
20. कस्तूरी
21. मोती या मोती की माला
22. काँसे के बर्तन में सोना
23. माणिक रत्न
24. सोने के बर्तन
25. गाय
26. भूमि