सार

फाल्गुन (falgun month 2022) हिंदू पंचांग का अंतिम महीना है। फाल्गुन महीने का धार्मिक महत्व के साथ मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। ये महीना सकारात्मक रहना सीखाता है। इस महीने में आने वाले तीज-त्योहार सकारात्मक ऊर्जाओं और खुशियों से भरे होते हैं।

उज्जैन. फाल्गुन महीने में ही वसंत ऋतु शुरू होती है। ये ऋतु सृजन का प्रतीक है। फाल्गुन में ही पतझड़ खत्म होकर वसंत शुरू होता है। इसलिए इस मौसम में मन खुश रहता है और अच्छे विचार आते हैं। इस बार फाल्गुन मास की शुरूआत 17 फरवरी से हो चुकी है, जो 17 मार्च तक रहेगा। 

इसलिए भी खास ये है महीना
1.
इस महीने में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। ये भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रमुख पर्व है। 
2. इस महीने की आखिरी तिथि को मनाए जाने वाला होली (Holi 2022) उत्सव का अत्यंत धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक महत्व है। यह आनंद, प्रेम, सद्भावना का पर्व है। यह भावनाओं के स्तर पर एक दूसरे के रंग में रंग जाने का अवसर है। लिंगपुराण में होलीका उत्सव को फल्गुनिका के नाम से जाना जाता है। जिसे बालकों की क्रीड़ाओं से पूर्ण और सुख समृद्धि देने वाला बताया गया है।

इस महीने के व्रत-त्योहार
इस महीने में कब, कौन-सा व्रत-त्योहार मनाया जाएगा और किस दिन कौन-सा शुभ योग रहेगा, इसकी जानकारी इस प्रकार है…
20 फरवरी- संकट चतुर्थी व्रत, चंद्रोदय रात्रि 9.55 उज्जैन समयानुसार
21 फरवरी- महाकाल नवरात्रि आरंभ 
22 फरवरी- शनि उदय प्रात: 10.13 पर
23 फरवरी- कालाष्टमी, गुरु अस्त पश्चिम में सायं 7 बजे,
26 फरवरी- विजया एकादशी स्मार्त प्रात: 10.40 बजे से, मंगल मकर में दोपहर 3.49 बजे से
27 फरवरी- विजया एकादशी वैष्णव प्रात: 8.14 तक, शुक्र मकर में सायं 6.15 बजे से
28 फरवरी- द्वादशी का क्षय, सोम प्रदोष व्रत
1 मार्च- महाशिवरात्रि, मध्यरात्रि 12.15 से 1.05 तक, पंचक प्रारंभ सायं 4.29 से, शिव नवरात्रि पूर्ण
2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या
4 मार्च- चंद्रदर्शन, रामकृष्ण परमहंस जयंती
6 मार्च- पंचक समाप्त सूर्योदय पूर्व रात्रि 2.28 बजे, विनायक चतुर्थी, बुध कुंभ में प्रात: 11.18 से
10 मार्च- होलाष्टक प्रारंभ
13 मार्च- रवि पुष्य रात्रि 8.07 से प्रात: 6.39 तक
14 मार्च- आमलकी एकादशी, सूर्य मीन में रात्रि 12.15 से
15 मार्च- भौमप्रदोष व्रत
17 मार्च- होलिका दहन प्रदोषकाल में 6.33 से 8.58 तक, भद्रापुच्छ में रात्रि 9.03 से 10.15 तक
18 मार्च- धूलेंडी, फाल्गुन पूर्णिमा, होलाष्टक समाप्त, चैतन्य महाप्रभु जयंती
 

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