सार
इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या यानी 21 जून, रविवार को साल का पहला सूर्यग्रहण होने वाला है। ये पूर्ण सूर्यग्रहण न होकर आंशिक यानी खण्डग्रास है।
उज्जैन. 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत सहित कई देशों में दिखाई देगा। जानिए उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार सूर्य ग्रहण से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब…
प्रश्न 1- ये सूर्य ग्रहण कहां-कहां दिखेगा?
उत्तर- रविवार को सूर्यग्रहण सुबह करीब 10.20 बजे शुरू होगा और दोपहर 1.49 बजे खत्म होगा। इसका सूतक 12 घंटे पहले यानी 20 जून को रात 10.20 से शुरू हो जाएगा, जो कि ग्रहण के साथ ही खत्म होगा। ये ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथियोपिया और कांगो में दिखाई देगा।
प्रश्न 2- इस ग्रहण का भारत में ज्योतिषीय असर होगा या नहीं?
उत्तर- उज्जैन के पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार भारत में ये ग्रहण दिखेगा, इस कारण यहां सूतक रहेगा। सभी राशियों पर भी इस ग्रहण का प्रभाव देखने को मिलेगा। ग्रहण से जुड़े सभी ज्योतिषीय और धार्मिक नियम भारत में लागू होंगे। यह ग्रहण राहुग्रस्त है। मिथुन राशि में राहु सूर्य-चंद्रमा को पीड़ित कर रहा है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में है और मिथुन राशि के ग्रहों पर दृष्टि डाल रहा है। इस दिन बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्री रहेंगे। राहु और केतु हमेशा वक्री ही रहते है। इन 6 ग्रहों की स्थिति के कारण ये सूर्य ग्रहण और भी खास हो गया है।
प्रश्न 3 - सूर्य ग्रहण के समय पूजा-पाठ करें या नहीं?
उत्तर- भारत में ये ग्रहण दिखेगा, इस कारण यहां ग्रहण से संबंधित सावधानी, सूतक रखना चाहिए। सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं। जैसे राम नाम, ऊँ नम शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम: आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं।
प्रश्न 4 - सूर्य ग्रहण के समय कौन-कौन से काम न करें?
उत्तर- ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि ऐसे समय में सूर्य से हानिकारक तरंगे निकलती हैं जो कि मां और बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। तेल मालिश नहीं करना चाहिए। खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए, जिससे कि पका हुआ खाना ग्रहण के कारण अशुद्ध होने से बच जाए।
प्रश्न 5- सूर्यग्रहण के बाद क्या-क्या करें?
उत्तर- ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए। घर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 6 - ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता क्या है?
उत्तर- ग्रहण के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से अमृत कलश निकला तो देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं के वेश में अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
प्रश्न 7- विज्ञान के अनुसार कब होता है सूर्य ग्रहण?
उत्तर- जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं।