सार
भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 5 अक्टूबर, सोमवार को है। अधिक मास होने की वजह से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
उज्जैन. भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 5 अक्टूबर, सोमवार को है। अधिक मास होने की वजह से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने और कुछ विशेष उपाय करने से आपकी समस्याएं दूर हो सकती हैं। व्रत विधि और उपाय इस प्रकार हैं-
इस विधि से करें व्रत और पूजा
- सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश को सिंदूर, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
- 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजा के बाद श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने बाद शाम को चंद्रमा निकलने के बाद स्वयं भोजन करें। संभव हो तो उपवास करें।
- इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।
ये उपाय करें
अधिक मास की चतुर्थी होने के कारण इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा का अभिषेक स्वच्छ जल से करें। साथ ही गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी करते रहें। इसे उपाय से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।