सार

हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है यानी वे देवता जो हमें दिखाई देते हैं। साल में कई बार सूर्य से संबंधित व्रत-उत्सव भी मनाए जाते हैं। सप्तमी तिथि के स्वामी भी सूर्यदेव ही हैं। इसलिए इस तिथि पर इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।

उज्जैन. माघ मास की सप्तमी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार ये तिथि 7 फरवरी, सोमवार को है। धर्म ग्रंथों में इसे रथ सप्तमी (Ratha Saptami 2022) या माघ सप्तमी के नाम से जानते हैं। इसे अचला सप्तमी या सूर्य जयंती भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव का जन्म माघ शुक्ल सप्तमी को हुआ था, इसलिए इसे सूर्य जयंती कहते हैं। इस तिथि को ही सूर्य देव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

रथ सप्तमी तिथि एवं पूजा मुहूर्त
सप्तमी तिथि प्रारंभ: 7, फरवरी, सोमवार, दोपहर 4:37 से 
सप्तमी तिथि समाप्त: 8 फरवरी, मंगलवार, प्रातः 6:15 तक 
रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त: 7, फरवरी, प्रातः 5:24 से प्रातः 7:09 तक 
कुल अवधि: 1 घंटा 45 मिनट
अर्घ्यदान के लिए सूर्योदय का समय: प्रातः 7:05 मिनट

रथ सप्तमी का महत्व 
रथ सप्तमी का दिन भगवान सूर्य के नाम से दान-पुण्य वाले कार्यों में दान या भाग लेने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी पापों और दुखों से मुक्ति मिल सकती है। कहा जाता है कि मनुष्य अपने जीवन में सात प्रकार के पाप करता है। ये जानबूझकर, अनजाने में, मुंह के वचन से, शारीरिक क्रिया द्वारा, मन में, प्रचलित जन्म और पिछले जन्मों में किए गए पाप हैं। रथ सप्तमी के दिन सूर्य भगवान की आराधना करने से इन सभी पापों से मुक्ति मिलती है। 

ये है पूजा विधि
- रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर अरुणोदय के समय जगे रहना और स्नान करना बेहद आवश्यक है। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
- स्नान के बाद नमस्कार करते हुए सूर्यदेव को जल का अर्घ्य का दें। अगर संभव हो तो सूर्यदेव को गंगाजल से अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय सूर्यदेव के अलग-अलग नामों का स्मरण करें। भगवान सूर्य के भिन्न नामों का काम से काम 12 बार जाप करें। 
- भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मिट्टी के दीए लें और उन्हें घी से भर दें और प्रज्ज्वलित करें। इसी को रथ सप्तमी पूजन कहते है।
- इस अवसर पर गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य सहस्त्रनाम मंत्र का भी जाप करें। इसका जाप पूरे दिन करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भाग्य परिवर्तन होना शुरु हो जाता है।

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