सार
Aaj Ka Panchang: 5 अक्टूबर, बुधवार को श्रवण नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा सुकर्मा और रवि योग भी इस दिन बन रहे हैं। राहुकाल दोपहर 12:15 से 01:43 तक रहेगा।
उज्जैन. हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ पर्व बहुत ही खास होते हैं। विजयादशमी भी एक ऐसा ही त्योहार है। इस बार ये त्योहार 5 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शमी पूजा, शस्त्र पूजा आदि परंपराएं भी निभाई जाती हैं। आगे पंचांग से जानिए आज कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे, कौन-सा ग्रह किस राशि में रहेगा और राहु काल व अभिजीत मुहूर्त का समय…
5 अक्टूबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 5 October 2022)
5 अक्टूबर 2022, दिन बुधवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दोपहर 12 बजे तक रहेगी। इसके बाद एकादशी तिथि रात अंत तक रहेगी। बुधवार को श्रवण नक्षत्र दिन भर रहेगा। बुधवार को श्रवण नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा सुकर्मा और रवि योग भी इस दिन बन रहे हैं। राहुकाल दोपहर 12:15 से 01:43 तक रहेगा।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
बुधवार को चंद्रमा मकर राशि में, सूर्य, बुध और शुक्र कन्या राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि निकलना पड़े तो तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें।
5 अक्टूबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष- शुक्ल
दिन- बुधवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- श्रवण
करण- गर और वणिज
सूर्योदय - 6:23 AM
सूर्यास्त - 6:07 PM
चन्द्रोदय - Oct 05 3:22 PM
चन्द्रास्त - Oct 06 2:32 AM
अभिजीत मुहूर्त- इस दिन नहीं है
5 अक्टूबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 7:51 AM – 9:19 AM
कुलिक - 10:47 AM – 12:15 PM
दुर्मुहूर्त - 11:51 AM – 12:38 PM
वर्ज्यम् - 12:59 AM – 02:29 AM
कितनी तिथियां होती हैं एक महीने में?
पंचांग के अनुसार, कालगणना में 16 तिथियां मानी गई हैं। इनमें से 1 से लेकर 14 तक की तिथियां दोनों पक्ष (शुक्ल व कृष्ण) में एक समान मानी गई है। सिर्फ अंतिम तिथि में ही भेद होता है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा। हर तिथि का एक अलग देवता होता है जैसे प्रतिपदा यानी प्रथम तिथि के देवता स्वयं अग्निदेव हैं। अष्टमी तिथि के देवता शिवजी और द्वादशी तिथि के देवता भगवान विष्णु।
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