सार

हस्तरेखा शास्त्र में विवाह से जुड़े ऐसे अनेक योग बताए गए हैं जिन्हें देखकर पता लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति का विवाह किन परिस्थितियों में और कैसा होगा।

उज्जैन. हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार जब शुक्र पर्वत जो अंगूठे के नीचे होता है तथा गुरु पर्वत जो तर्जनी अंगुली के नीचे होता है, ये दोनों पर्वत जब पूर्ण विकसित और दोष रहित हो तो विवाह के पूर्ण योग बनते हैं। आगे जानिए हथेली की रेखाओं से विवाह के संबंध में खास बातें…

1. यदि हथेली में भाग्य रेखा का उद्गम स्थान चंद्र पर्वत से हो तो विवाह पूर्ण सुखी होता है। यदि भाग्य रेखा हृदय रेखा पर समाप्त हो जाए तो भी विवाह सुखद होता है।
2. यदि गुरु पर्वत पर क्रॉस का चिह्न हो तो ऐसा व्यक्ति अपने विवाह से पूर्ण संतुष्ट रहता है। यदि शुक्र पर्वत कम उभरा हुआ हो तो विवाह में सुख की कमी रहती है।
3. यदि शुक्र पर्वत पर लाल रंग का तारा जैसा चिह्न बना हुआ हो तो विवाह में कष्ट बना रहता है।
4. यदि विवाह रेखा पर द्वीप का चिह्न हो तो व्यक्ति विवाह से संतुष्ट नहीं रहता। यदि भाग्य रेखा पर क्रॉस का चिह्न हो तो विवाह में बहुत परेशानी आती है।
5. यदि सूर्य रेखा तथा विवाह रेखा आपस में एक दूसरे को काटती हो तो बेमेल विवाह होता है।
6. शुक्र पर्वत अत्यधिक विकसित हो तो ऐसे लोगों की जोड़ी ठीक नहीं बनती।
7. मणिबंध से शुक्र पर्वत तक कोई रेखा जाए तो लड़की का विवाह बिजनेसमैन से होता है।
8. मणिबंध से कोई रेखा बुध पर्वत तक पहुंचे तो लड़की का विवाह बड़े व्यापारी से होता है।
9. यदि सूर्य रेखा का संबंध शुक्र रेखा से हो तो विदेशी व्यापारी से विवाह का संयोग बनता है।
10. यदि कोई रेखा मणिबंध से निकलकर शुक्र पर्वत तथा शनि पर्वत पर जाती हो तो बूढ़े व्यक्ति से विवाह होता है।
11. यदि हाथ कमजोर एवं संकीर्ण हो तथा भाग्य रेखा एवं प्रणय रेखा दूषित हो तो अपनी उम्र से बहुत बड़े व्यक्ति से विवाह होता है।

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