सार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों से कई प्रकार के योग बनते हैं। इनमें से अनेक योग ऐसे होते हैं जिनका नाम उनकी आकृति के आधार पर रखा जाता है।
उज्जैन. कुंडली के विशेष घरों में विशेष ग्रहों के संयोग से जो आकृति बनती है उस योग का नाम उसी आकृति के आधार पर रखा गया है। जानिए कुछ ऐसे ही योगों के बारे में…
गदा योग
यदि किसी की जन्मकुंडली में समीपवर्ती दो केंद्र स्थानों में सारे ग्रह बैठे हों तो गदा योग बनता है। गदा योग में जन्मा व्यक्ति बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का होता है। धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और यज्ञादि करने में इसका मन लगता है। ऐसा व्यक्ति सात्विक प्रवृत्ति का होता है और सेवा कार्यो से सम्मान, धन अर्जित करता है।
शकट योग
शकट का अर्थ है गाड़ी। जब जन्मकुंडली में लग्न और सप्तम स्थान में संपूर्ण ग्रह बैठे हों तो शकट योग बनता है। शकट योग में जन्मा व्यक्ति वाहनों के बिजनेस से खूब पैसा कमाता है। वह वाहनों का शौकीन होता है।
विहंग योग
विहंग का अर्थ है पक्षी। जब चौथे और दसवें स्थान में सभी ग्रह बैठे हों तो विहंग योग होता है। इस योग में जन्मा व्यक्ति देश के उच्च पद सेवाएं देता है। आधुनिक युग में देखा जाए तो सोशल मीडिया कंपनी में काम करने वाला, पत्रकार, मीडिया मैनेजमेंट, पीआर एजेंसी का मालिक होता है।
श्रृंगाटक योग
श्रृंगाटक का अर्थ होता है सिंघाड़ा। यदि लग्न, पंचम और नवम में संपूर्ण ग्रह बैठे हों तो यह योग बनता है। श्रृंगाटक योग जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह सर्वदा सुखी रहता है। उसके जीवन में आजीविका के कई साधन होते हैं।
कुंडली के योगों के बारे में ये भी पढ़ें
पंचमहापुरुष योगों में से एक है भद्र योग, जानिए कब बनता है ये कुंडली में, क्या है इसके फायदे?
डर, वहम और डिप्रेशन का कारण हो सकते हैं ये ग्रह और कुंडली के योग, कर सकते हैं यह उपाय
कुंडली के पांचवें भाव में दोष होने पर आती है पढ़ाई में बाधाएं, ये उपाय करें
कुंडली का चौथा भाव होता है खास, इससे जान सकते हैं आपके पास कितना पैसा और मकान होगा