सार
जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है, वही जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है।
उज्जैन. यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो और उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो इसका अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।
ये हैं जीवन रेखा से जुड़े शुभ-अशुभ संकेत
- हमारी हथेली में जैसी जीवन रेखा होती है, हमारा जीवन ठीक वैसा ही चलता है। यदि ये रेखा अन्य छोटी-बड़ी रेखाओं से कटी हुई या टूटी हुई हो, तो इसे अशुभ माना जाता है। जितनी लंबी जीवन रेखा होती है, उतना ही लंबा हमारा जीवन होता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा (मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा लगभग एक ही स्थान से प्रारंभ होती है) और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा श्रृंखलाकार या अलग-अलग टुकड़ों से जुड़ी हुई या बनी हुई हो तो व्यक्ति निर्बल हो सकता है। ऐसे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसा विशेषत: तब होता है, जब हाथ कोमल हो। जब जीवन रेखा के दोष दूर हो जाते हैं, तो व्यक्ति का जीवन सामान्य हो जाता है।
- यह रेखा बाएं हाथ में टूटी हुई हो तथा दाएं हाथ में जुड़ी दिखाई दे तो किसी गंभीर रोग की सूचना देती है। यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा टूटी हुई हो, तो मृत्यु समान कष्ट की सूचक होती है। ऐसा उस समय तो और भी निश्चित हो जाता है, जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत के भीतर की ओर मुड़ती दिखाई देती है। यह अशुभ लक्षण है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
- यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा टूटी हुई हो, तो व्यक्ति को असमय मृत्यु तुल्य कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो और दूसरे हाथ में यह रेखा ठीक हो, तो यह किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा करती है।
- यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत क्षेत्र (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) की ओर उठती दिखाई दे या उसमें जा मिले, तो इसका अर्थ यह समझना चाहिए कि जिस समय से वह रेखा जीवन रेखा के ऊपर की ओर जाती है, तो व्यक्ति को कोई बड़ा पद या व्यापार-व्यवसाय में तरक्की प्राप्त होती है।
- यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत क्षेत्र (मिडल फिंगर के नीचे वाले भाग को शनि पर्वत कहते हैं।) की ओर उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ यह होता है कि व्यक्ति को धन-संपत्ति का लाभ मिल सकता है। ऐसी रेखा के प्रभाव से व्यक्ति को सुख-सुविधाओं की वस्तुएं भी प्राप्त हो सकती हैं।