सार
इस बार 7 अक्टूबर, गुरुवार से शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2021) का आरंभ हो रहा है, जो 14 अकटूबर, गुरुवार तक मनाई जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री का पूजा की जाती है।
उज्जैन. माना जाता है कि देवी के इस रूप का नाम शैलपुत्री (Goddess Shailputri) इसलिए पड़ा क्योंकि उनका जन्म हिमालय के यहां हुआ था। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। अगर हमारे जीवन में स्थिरता और शक्ति की कमी है तो मां शैलपुत्री की पूजा अवश्य करनी चाहिए। महिलाओं के लिए तो मां शैलपुत्री (Goddess Shailputri) की पूजा काफी शुभ मानी गई है।
7 अक्टूबर के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 6. 7.30 तक- शुभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 तक- चर
दोपहर 12 से 1.30 तक- लाभ
दोपहर 1.30 से 3 तक- अमृत
शाम 4.30 से 6 बजे तक- शुभ
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
- पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। सबसे पहले जिस जगह पूजा की जानी है उस जगह को पहले साफ करें और उस लकड़ी के एक पाटे पर मां शैलपुत्री की तस्वीर रखें। उसे शुद्ध जल से साफ करें।
- कलश स्थापना के लिए एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके बाद हाथ में कुछ चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पाटे पर रख दें। अब जिस कलश को स्थापित करना है उसमें शुद्ध जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस कलश पर रखें।
- इसके बाद उस कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं। अब उस कलश को स्थापित कर दें। नारियल पर कलावा और चुनरी भी बांधें। अब एक तरफ एक हिस्से में मिट्टी फैलाएं और उस मिट्टी में जौं डाल दें।
- अब मां शैलपुत्री (Goddess Shailputri) को कुमकुम लगाएं। चुनरी उढ़ाएं और घी का दीपक जलाए। सुपारी, लोंग, घी, प्रसाद इत्यादि का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और मां शैलपुत्री की कथा पढ़ें। साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण भी करें।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
मां शैलपुत्री (Goddess Shailputri) का आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
करें ये उपाय
मां शैलपुत्री (Goddess Shailputri) को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाएं और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से रोगी का ना सिर्फ कष्टों से मुक्ति मिलती है बल्कि उसका शरीर निरोगी रहता है।
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