सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि पर शनिदेव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है।

उज्जैन. इस बार शनि जयंती का पर्व 30 मई, सोमवार को है। शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में न्यायाधीश कहा गया है जिसका अर्थ है कि मनुष्य को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही प्रदान करते हैं। शनि चालीसा में शनिदेव के वाहनों के बारे में भी बताया गया है। उसके अनुसार, शनिदेव के 7 वाहन है, इनके अलावा शनिदेव के कुछ अन्य वाहन ग्रंथों में भी बताए गए हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी राशि में जाते हैं तो उसके अनुसार ही उस राशि के लोगों को शुभ-अशुभ फल प्राप्त करते हैं। आगे जानिए शनिदेव के वाहन कौन-कौन से हैं…

वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना।।
जम्बुक, सिंह आदि नखधारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
अर्थात- शनिदेव के सात वाहन हैं- हाथी, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार, शेर, व गिद्ध। इसके अलावा कौए को भी इनका वाहन माना गया है।

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनिदेव हाथी पर सवार किसी की राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे पैसा और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
2. जब शनिदेव गधे पर सवार होकर किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस राशि के लोगों के बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं और धन हानि का सामना करना पड़ता है।
3. शनि जब शेर पर सवार होकर किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस राशि के लोगों को समाज में मान-सम्मान और कोई बड़ा पद मिलने के योग बनते हैं।
4. शनिदेव सियार पर सवार होकर जिस राशि में जाते हैं, उस राशि के लोगों का बुद्धि नष्ट हो जाती है और पैसे व सम्मान का भी नाश होता है।
5. जब शनिदेव हिरन पर सवार होते हैं तो मृत्यु के समान कष्ट झेलने पड़ते हैं यानी बहुत बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
6. वैसे तो कुत्ता भैरवदेव की सवारी है लेकिन जब शनिदेव इस पर सवार होकर किसी राशि में जाते हैं तो उसे धन लानि हो सकती है। 
7. शनिदेव जब गिद्ध पर सवार होकर किसी राशि में जाते हैं तो व्यक्ति को अनेक तरह की बीमारियां घेर लेती है।
8. कौए पर सवार होकर शनिदेव व्यक्ति के सभी दुखों को दूर करते हैं और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। 

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