सार
वैशाख मास (Vaishakh month 2022) का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसे माधव मास भी कहते हैं। इस महीने में जलदान करने यानी प्यासे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व बताया गया है।
उज्जैन. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख महीने में प्याऊ लगाने से त्रिदेव प्रसन्न होते हैं। इस समय वैशाख मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है, जो 16 मई तक रहेगा। इसके बाद ज्येष्ठ मास शुरू होगा। वैशाख मास के अंतिम दिनो में लगातार तीज-त्योहार का योग बन रहा है। ये योग 12 मई से 16 तक रहेगा। इन 5 दिनों में मोहिनी एकादशी, शुक्र प्रदोष, नृसिंह चतुर्दशी, वृष संक्रांति और वैशाखी पूर्णिमा के त्योहार मनाए जाएंगे। वैशाख के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का योग भी बन रहा है। हालांकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। आगे जानिए वैशाख के अंतिम दिनों में कब, कौन-सा त्योहार मनाया जाएगा…
मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2022) पर करें विष्णुजी की पूजा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लेकर देवताओं को अमृत पिलाया था। इस बार ये तिथि 12 मई, गुरुवार को है। मोहिनी एकादशी व्रत करने और पूजा करने से 1 हजार गायों के दान करने का फल मिलता है।
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) में करें शिवजी की पूजा
13 मई, शुक्रवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन शुक्र प्रदोष का व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। शु्क्र प्रदोष का व्रत करने से शु्क्र ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। वैशाख मास के प्रदोष व्रत का महत्व तो और भी अधिक बताया गया है। इस दिन व्रत रख शाम को भगवान शिव की विशेष पूजा की परंपरा है।
नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2022) पर करें भगवान नृसिंह जी पूजा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। ये भगवान विष्णु को चौथा अवतार माना जाता है। इसमें इनका शरीर आधार शेर और आधार मनुष्य का था। इस बार नृसिंह चतुर्दशी 14 मई, शनिवार को है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकश्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी।
सूर्य संक्रांति (Vrish Sankranti 2022) पर करें सूर्यदेव की आराधना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य हर 30 दिन में राशि बदलता है। जब सूर्य राशि बदलता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। इस बार 15 मई, रविवार को सूर्य राशि परिवर्तन कर मेष से वृषभ में प्रवेश करेगा। इसलिए इसे वृष संक्रांति कहेंगे। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व कहा गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व है।
वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2022) पर करें स्नान-दान
ये वैशाख महीने का अंतिम दिन (16 मई, सोमवार) है। मान्यता है कि इसी तिथि पर ब्रह्मा जी ने तिल का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन पानी में सफेद और काले तिल डालकर स्नान करने का विशेष महत्व है। इसे पीपल पर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन बुद्ध जयंती का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन चंद्रग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में दिखाई नहीं देगा।
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