सार

ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रह प्रमुख माने गए हैं। यही ग्रह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें से हर ग्रह का दिन, दिशा, राशि, नक्षत्र तथा भ्रमण काल निश्चित है।

उज्जैन. किस राशि में कौन-सा ग्रह उच्च का फल देता है और किस राशि में नीच का, इसकी जानकारी भी ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है। इसी के आधार पर भविष्य गणना की जाती है। आज हम आपको ग्रहों से जुड़ी ये सभी जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार है…

1. सूर्य
दिन- रविवार
दिशा- पूर्व
राशि- सिंह
राशि भ्रमण- प्रत्येक राशि में 30 दिन।
नक्षत्र- कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा
उच्च, नीच- मेष में उच्च और तुला में नीच के माने गए हैं।

2. चंद्र
दिन- सोमवार
दिशा- वायव्य
राशि- कर्क
राशि भ्रमण- ढाई दिन
नक्षत्र- रोहिणी, हस्त, श्रवण
उच्च, नीच- वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच

3. मंगल
दिन- मंगलवार
दिशा- दक्षिण
राशि- मेष और वृश्चिक
नक्षत्र- मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा
राशि भ्रमण- प्रत्येक राशि में एक माह।
उच्च, नीच- मकर में उच्च का और कर्क में नीच

4. बुध
दिन- बुधवार
दिशा- पूर्व
राशि- कन्या और मिथुन
नक्षत्र- अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती
राशि भ्रमण- 25 दिन
उच्च, नीच- बुध कन्या में उच्च, मीन में नीच

5. गुरु
दिन- बृहस्पतिवार
दिशा- ईशान कोण
राशि- धनु और मीन
भ्रमण काल- एक राशि में 13 माह
नक्षत्र- पूर्वा विशाखा, पूर्वा भाद्रपद
उच्च, नीच- गुरु कर्क में उच्च, मकर में नीच।

6. शुक्र
दिन- शुक्रवार
दिशा- दक्षिण-पूर्व दिशा आग्नेय
राशि- वृषभ और तुला।
नक्षत्र- भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा।
राशि भ्रमण काल- प्रत्येक राशि में एक माह।
उच्च, नीच- कन्या में नीच और मीन में उच्च के होते हैं।

7. शनि
दिन- शनिवार
दिशा- वायव्य
राशि- मकर, कुंभ
नक्षत्र- पुष्य, अनुराधा।
राशि भ्रमण- प्रत्येक राशि में अढ़ाई वर्ष
उच्च, नीच- तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है

8. राहु
दिशा- दक्षिण-पश्चिम अर्थात नैऋत्य।
नक्षत्र- आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा
राशि भ्रमण काल- एक राशि में 18 माह
उच्च, नीच- राहु मिथुन मतांतर से, वृषभ में उच्च का धनु मतांतर से वृश्चिक में नीच का होता है।

9. केतु छाया ग्रह
दिशा- वायव्य कोण
नक्षत्र- अश्विनी, मघा और मूल
भ्रमण काल- एक राशि में 18 माह
उच्च, नीच- केतु धनु मतांतर से वृश्चिक में उच्च का, मिथुन मतांतर से वृषभ में नीच का होता है।