सार
हिंदू धर्म में विवाह करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य देखा जाता है। हर व्यक्ति के विवाह का मुहूर्त उसकी राशि से निकाला जाता है। 12 राशियों में एक मात्र तुला ऐसी राशि है जिसके लोगों का कभी भी शुद्ध मुहूर्त नहीं निकलता है।
उज्जैन. यह मुहूर्त तीन प्रकार का होता है शुभ, पूज्य और अनिष्ट। जब पूर्ण शुभ मुहूर्त हो तो ही विवाह करना उचित रहता है। 12 राशियों में एक मात्र तुला ऐसी राशि है जिसके लोगों का कभी भी शुद्ध मुहूर्त नहीं निकलता है। तुला राशि के लोगों के विवाह के लिए सूर्य की शांति करना आवश्यक होती है तभी उनका विवाह संपन्न हो सकता है। आगे जानिए ऐसा क्यों होता है…
त्रिबल शुद्धि देखना आवश्यक
- विवाह का मुहूर्त निकालने के लिए 3 ग्रहों का बल देखना आवश्यक होता है। इसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है। ये तीन ग्रह हैं सूर्य, गुरु और चंद्र। विवाह का मुहूर्त या लग्न निकालने के लिए वधू के लिए गुरु और चंद्र की शुद्धि देखी जाती है तथा वर के लिए सूर्य अैर चंद्र की शुद्धि देखी जाती है। तीनों ही ग्रहों का वर या वधू की राशि से 4, 8, 12वां नहीं होना चाहिए।
- सूर्य 3, 6, 10, 11वां हो तो शुभ। 1, 2, 5, 7, 9 हो तो पूज्य और 4, 8, 12 हो तो अनिष्टकारी होता है।
- चंद्र 3, 6, 7, 10, 11 हो तो शुभ। 1, 2, 5, 9 हो तो पूज्य और 4, 8, 12 हो तो अनिष्टकारी होता है।
- गुरु 2, 5, 7, 9, 11 हो तो शुभ। 1, 3, 6, 10 हो तो पूज्य और 4, 8, 12 हो तो अनिष्टकारी होता है।
क्यों नहीं होता बिना पूजा विवाह?
- जैसा कि ऊपर बताया गया है सूर्य की शुद्धि के शुभ स्थान 3, 6, 10, 11 होते हैं, लेकिन तुला राशि के लिए देखा जाए तो तुला राशि से तीसरी राशि धनु आती है। जब सूर्य धनु राशि में होता है तो मलमास होता है जिसमें विवाह नहीं होते।
- तुला राशि से छठी राशि मीन आती है, मीन में भी सूर्य के रहने पर मलमास होता है, जिसमें विवाह पर प्रतिबंध होते हैं।
- तुला राशि से 10वीं राशि कर्क होती है और 11वीं राशि सिंह होती है। कर्क और सिंह राशि में सूर्य के रहने के दौरान चातुर्मास रहता है और देव शयनकाल चलता रहता है इसलिए इस काल में विवाह नहीं हो सकते।
- अब इन चारों शुद्ध गोचर के समय विवाह नहीं हो सकते तो बाकी सूर्य के पूज्य स्थान वाले मुहूर्त ही बचते हैं, जिनमें सूर्य की लाल पूजा करके विवाह संपन्न कराया जाता है।
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