सार
यंत्र साधना बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करती है, लेकिन इसका फल तभी मिलता है जब यंत्र बिल्कुल सटीक उपाय से बना हो।
उज्जैन. यंत्र शास्त्र के अतंर्गत बताया गया है कि यंत्र निर्माण के किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। ये बातें इस प्रकार हैं-
कलम की लंबाई- यंत्र लेखन में काम आने वाली कलम आठ अंगुल लंबी होनी चाहिए।
कलम की प्रकृति- शांति कर्म में पीपल से बनी कलम, वशीकरण के लिए चमेली से बनी कलम, सम्मोहन के लिए सोने की, स्तंभन के लिए हल्दी की या तांबे से निर्मित कलम का विधान है।
कागज- यदि साधक ब्राह्मण हो तो भोजपत्र पर, क्षत्रिय हो तो ताड़पत्र पर, वैश्य हो तो भूमि पर तथा शुद्र हो को कागज पर यंत्र बनाने का विधान है।
गंध या स्याही- वशीकरण के उद्देश्य से निर्मित यंत्र में कुंकुम की स्याही, आकर्षण एवं स्वर्णाकर्षण के लिए कस्तूरी, स्तंभन में हल्दी, देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए चंदन से निर्मित स्याही का उपयोग करना चाहिए।
यंत्र साधना का समय- सुख-शांति और समृद्धि को लक्ष्य बनाकर निर्मित यंत्र ब्रह्ममुहूर्त में तथा देवोपासना एवं इष्ट साक्षात्कार के लिए ब्रह्ममुहूर्त, अभिचार विद्वेषण एवं उच्चाटन के लिए मध्य का समय उपयुक्त रहता है।
तिथि, वार एवं नक्षत्र- यंत्र साधना प्रारंभ करने से पहले लक्ष्य के लिए अनुकूल यानी कि शुभ तिथि, वार, नक्षत्र एवं चंद्रमा का सावधानीपूर्वक ध्यान रखना चाहिए।