सार
डायबिटीज को दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन सदा के लिए इसे दूर नहीं किया जा सकता है। लेकिन चीन ने इस दिशा में एक सफलता हासिल की है। सेल थेरेपी के जरिए एक डायबिटीज पेशेंट को पूरी तरह ठीक कर दिया गया।
हेल्थ डेस्क. कहते हैं कि एक बार डायबिटीज का शिकार हो जाने के बाद जिंदगी से रस खत्म हो जाता है। खाने-पीने में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। जब यह बढ़ जाता है तो फिर इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है। दवाओं और एहतियात के जरिए इसे कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन खत्म हमेशा के लिए नहीं किया जा सकता है। लेकिन चीन ने इस दिशा में एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। उसने इंसुलिन लेने वाले डायबिटीज पेशेंट को ठीक कर दिया है।
चीनी वैज्ञानिकों ने एक इनोवेटिव सेल थेरिपी (innovative cell therapy) का इस्तेमाल कर डायबिटीज पेशेंट को ठीक कर दिया। यह ट्रीटमेंट शंघाई चांगझेंग अस्पताल और रेंजी अस्पताल की एक टीम ने मिलकर विकसित किया है। जिसे 30 अप्रैल को सेल डिस्कवरी जर्नल में प्रकाशित किया गया था।
जुलाई 2021 में सेल ट्रांसप्लांट के जरिए ट्रीटमेंट किया
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार, मरीज को जुलाई 2021 में सेल ट्रांसप्लांट के जरिए ट्रीटमेंट किया गया। ट्रांसप्लांट के 11 सप्ताह बाद पेशेंट की एक्सटरनल इंसुलिन डिपेंडेंसी खत्म हो गई। व्यक्ति को बाहरी तौर पर किसी भी तरह की इंसुलिन नहीं दी गई। इसके साथ ही पेशेंट ने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने वाली ओरल मेडिसिन लेना भी बंद कर दिया गया। जांच के पता चला कि पेशेंट करीब 33 महीनों से बिना इंसुलिन लिए हेल्दी है। इस बात से साफ जाहिर होता है कि पेशेंट के अंदर डायबिटीज पूरी तरह कंट्रोल हो चुका है। यह किसी खुशखबरी से कम नहीं है। सेल थेरिपी का इस्तेमाल प्रभावी साबित हो रहा है।
डायबिटीज पेशेंट को मिला नया इलाज!
ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिमोथी किफ़र ने रिसर्च की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यह स्टडी डायबिटीज के लिए सेल थेरेपी के एरिया में अहम प्रगति का नेतृत्व करता है।' डायबिटीज एक पुरानी स्थिति है जो बॉडी की भोजन को एनर्जी में परिवर्तित करने की क्षमता को प्रभावित करती है। अगर इसे कंट्रोल नहीं किया जाए तो हार्ट रोग, अंधापन होना और किडनी में गंभीर समस्या हो सकती है।
ऐसे ट्रीटमेंट करता है काम
डायबिटीज सेल थेरिपी ट्रीटमेंट चायनीज रिसर्चर ने पेशेंट के पेरीफेरल ब्लड मोनोन्यूक्लियर सेल्स से नई थेरिपी विकसित की। सेल्स को सीड सेल में बदला गया ताकि अग्नाशय आईसलेट टिशू को आर्टिफिशिय वातावरण दिया जा सके।इस थेरिपी में शरीर रीजेनेरेटिव कैपिबिलिटी (दोबारा तैयार करने की क्षमता) विकसित होती है। रिजेनेरेटिव मेडिसिन डायबिटीज ट्रीटमेंट में एक नया कदम है।
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