सार

Diabetes Type 1 Symptoms in Hindi: आज हम आपको डायबिटीज टाइप 1 के लक्षण बताने वाले हैं जो कि बहुत कॉमन होने की वजह से लोगों द्वारा लगातार इग्नोर किए जाते हैं। लेकिन एक दिन यही बीमारी की वजह बनते हैं। 

हेल्थ डेस्क: दुनियाभर में लगातार बढ़ते गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों में डायबिटीज एक बनती जा रही है। भारत के अलावा जर्मनी, स्पेन, कनाडा, यूके, अमेरिका, ब्राजील, चीन, रूस और सऊदी अरब में भी डायबिटीज का जोखिम काफी तेजी से बढ़ रहा है। साल 2021 में लगभग 84 लाख लोग डायबिटीज टाइप-1 के शिकार थे और अब 2040 में दुनियाभर में यह संख्या बढ़कर 1.50 करोड़ से अधिक होने की आशंका है। चूंकि टाइप-1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है सिर्फ जटिलताओं को रोकने के लिए ट्रीटमेंट के तौर पर इंसुलिन शॉट्स, डाइट और लाइफस्टाइल पर जोर दिया जाता है। यही वजह है कि टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज से ज्यादा खतरनाक होती है।

Diabetes Type 1 क्या है?

टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपका इम्यनिटी सिस्टम आपके अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं (बीटा कोशिकाओं) को नष्ट कर देती है। इसका मतलब है कि आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना सकता या बिल्कुल कम मात्रा में बना पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपके रक्त से ग्लूकोज को आपकी कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है ताकि इसका उपयोग बॉडी द्वारा के लिए किया जा सके। इसीलिए इसे इंसुलिन-निर्भर मधुमेह भी कहा जाता था।

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Diabetes Type 1 के लक्षणों से रहें सावधान

  1. अत्यधिक प्यास लगना
  2. खाना खाने के बाद भी लगातार भूख लगते रहना
  3. बार-बार मुंह सूखना
  4. पेट खराब होना और उल्टी होना
  5. बार-बार पेशाब आना
  6. बिना किसी कारण के वजन कम होना
  7. बिना किसी कारण के थकावट या कमजोरी महसूस होना
  8. आइसाइट में लगातार कमजोरी आना
  9. भारीपन और सांस लेने में कठिनाई आना
  10. बार-बार स्किन, मूत्र पथ या योनि में संक्रमण होना
  11. लगातार मूड स्विंग्स होगा

देर से दिखने वाले टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण

अडल्ट में लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज (LADA) नामक बीमारी पर अधिक शोध किया जा रहा है। कुछ लोग इसे मधुमेह 1.5 या मधुमेह 1 1/2 कहते हैं क्योंकि यह टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह दोनों के कुछ हिस्सों के साथ ओवरलैप होता है। LADA के लक्षण बहुत धीरे-धीरे आ सकते हैं, जिससे इसका निदान करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही यह फैक्स भी है कि जिन लोगों को यह बीमारी होती है, वे आमतौर पर स्वस्थ वजन वाले होते हैं और अक्सर उनकी उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच होती है।

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