सार

वजन का बढ़ना कई बीमारियों को अपने साथ लेकर आता है। ये हम सभी को पता है। लेकिन क्या है मेमोरी लॉस की वजह बन सकती है? हाल में हुए रिसर्च में इसका खुलासा हुआ है जो उन लोगों के लिए चेतावनी है जो अपने मोटापे को लेकर गंभीर नहीं होते हैं।

हेल्थ डेस्क. बढ़ा हुआ वजन टाइप2 डायबिटीज, हार्ट से जुड़ी समस्या समेत कई बीमारियों का जड़ होता है। कई लोग इसे लेकर गंभीर नहीं होते हैं जिसकी वजह से वो असमय दुनिया को अलविदा भी कह देते हैं। हाल ही में शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि मांसपेशियों में बढ़ा फैट या चिपचिपाहट किसी व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त की समस्या लेकर आती है। मतलब बढ़े हुए वजन के लोगों में संज्ञानात्मक गिरावट ( cognitive decline) का जोखिम बना होता है।

जांघ की मांसपेशियों में जमा फैट जोखिम को बढ़ाता है

अमेरिकन गेरिएट्रिक्स सोसाइटी के जर्नल में प्रकाशित स्टडी में जांघ की मांसपेशियों में जमा फैट की बढ़ोतरी को संज्ञानात्मक गिरावट के लिए एक जोखिम कारक पाया गया। यह जोखिम कुल वजन या दूसरे जगह फैट जमा होने से जुड़ा नहीं था। यह पारंपरिक डिमेंशिया जोखिम कारकों से भी जुड़ा नहीं था। 

इतने लोगों पर किया गया शोध

शोधकर्ताओं ने 69 से 79 वर्ष की आयु के 1,634 लोगों को इस स्टडी में शामिल किया। उनमें 1 और 6 साल के ज्ञानात्मक कार्य को देखा। फिर 1, 3, 5, 8, और 10 साल की मांसपेशियों की चर्बी मापी। स्टडी में देखा गया कि समय के साथ संज्ञानात्मक कार्य में तेजी से गिरावट था। परिणाम काले-व्हाइट पुरुषों ओर महिलाओं में अलग-अलग थे।

रिसर्च से मनोभ्रंश के जोखिम को किया जा सकता है कम

पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एमडी, एमपीएच से जुड़ी लेखक कैटरिना रोसानो ( Caterina Rosano) ने कहा कि हमारा डेटा बताता है कि मांसपेशियों की चर्बी या चिपचिपाहट संज्ञानात्मक गिरावट में अहम भूमिका निभाती है। जो अन्य प्रकार की फैट या मांसपेशियों की विशेषताओं से अलग है। अगर ऐसा है, तो अगला कदम यह समझना है कि मांसपेशियों की चर्बी और मस्तिष्क एक दूसरे से कैसे 'बात' करते हैं, और क्या मांसपेशियों की फैट को कम करने से मनोभ्रंश का खतरा (dementia risk)भी कम हो सकता है।

वजन से छुटकारा पाने के लिए लाइफस्टाइल में करें बदलाव

जांघ, बाजू और पेट की मांसपेशियों में फैट को कम करने की दिशा में हर किसी को काम करना चाहिए। ये ना आपके हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि आपके आत्मविश्वास को भी कम कर देते हैं। लाइफस्टाइल में बदलाव और एक्सरसाइज के जरिए मांसपेशियों में बढ़े हुए फैट से आसानी से छुटाकारा पाया जा सकता है।

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