- Home
- Lifestyle
- Health
- स्टूडेंट लाइफ में खाने-पीने में लापरवाही, बन जाएगा जीवन भर का दर्द, न्यू स्टडी छात्रों के लिए चेतावनी
स्टूडेंट लाइफ में खाने-पीने में लापरवाही, बन जाएगा जीवन भर का दर्द, न्यू स्टडी छात्रों के लिए चेतावनी
हेल्थ डेस्क. स्टूडेंट लाइफ में खाने-पीने में लापरवाही हेल्थ के लिए लॉन्ग टाइम दिक्कत खड़ी कर सकती है। खराब डाइट ना सिर्फ मोटापा बल्कि हाई शुगर, हाई कैलोरी की भी वजह बन सकती है।
- FB
- TW
- Linkdin
शोधकर्ता का कहना है कि इस बात के सबूत हैं कि तनाव और चिंता ज्यादा खाने का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं ज्यादा खाने से तनाव भी हो सकता है। यूबीसी ओकानागन के एक शोधकर्ता ने चेतावनी दी है कि पोस्ट सेकंडरी स्टडी के बाद विकसित खराब खान पान की आदत छात्रों में मोटापे, श्वसन संबंधी बीमारियों और डिप्रेशन समेत कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भविष्य के लिए दे सकती है।
यूबीसीओ के स्कूल ऑफ नर्सिंग के प्रोफेसर डॉ. जोन बोटॉर्फ जिन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों की खाने की आदतों को देखते हुए एक बहु-साइट स्टडी को प्रकाशित किया।चीन के 31 विश्वविद्यालयों के लगभग 12,000 मेडिकल छात्रों ने अध्ययन में भाग लिया जिसका उद्देश्य खाने के व्यवहार, मोटापे और विभिन्न बीमारियों के बीच संबंध निर्धारित करना था। डॉ. बॉटॉर्फ़ कहते हैं, मुद्दा यह है कि कई खराब खाने की आदतें विश्वविद्यालय में शुरू होती हैं और दशकों तक जारी रह सकती हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत से स्टूडेंट शुगर वाले खाद्य पदार्थ और पेय के साथ हाई कैलोरी वाले भोजन का सेवन करते हैं। इस बात के बहुत सारे सबूत हैं कि इस प्रकार के खाने के व्यवहार से मोटापा हो सकता है। हालांकि ये सिर्फ एकमात्र आदत नहीं है जो मोटापा की वजह बनता है। लेकिन इन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है।
अनहेल्दी डाइट कई पुरानी बीमारियों से जुड़ा होता है। खराब खाने की आदत सर्दी और दस्त समेत कई संक्रामक रोगों के बीच सीधा संबंध दिखाता है। बायोमेडिकल शोध हुए हैं जो मोटापे और संक्रामक रोगों के बीच इस कड़ी का समर्थन करते हैं, और हाल ही में यह COVID-19 से संबंधित है। मोटे लोग कोरोना से ज्यादा प्रभावित हुए हैं।उनमें गंभीर लक्षण देखने को मिले हैं।
डॉ. बॉटॉर्फ़ कहते हैं कि इस बात के सबूत हैं कि तनाव और चिंता ज़्यादा खाने का कारण बन सकती है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा खाने से तनाव और अवसाद भी हो सकता है।हमें विश्वविद्यालय में युवा लोगों के बीच इस जोखिम पैटर्न की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
डॉ. बॉटॉर्फ़ का कहना है कि छात्रों को विश्वविद्यालय में स्वस्थ भोजन के बारे में सिखाया जाना चाहिए, सभी छात्रों के लिए स्वस्थ, और किफायती भोजन विकल्प प्रदान करने का दायित्व स्कूल का होना चाहिए। वो कहते हैं कि हमें उन भोजन के बारे में सोचने की जरूरत है जो उन्हें प्रोवाइड कराई जाती है।यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हमारे कैफेटेरिया और वेंडिंग मशीनों में स्वस्थ भोजन विकल्प हों ताकि वे चलते-फिरते खा सकें लेकिन स्वस्थ भोजन विकल्प भी बना सकें।
और पढ़ें:
स्टडी और करियर में होना है सफल, तो रोज करें ये 10 ब्रेन एक्सरसाइज
हर मर्द को जानना है जरूरी! क्या होता है जब महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन घटता और बढ़ता है