Surrogacy Age Limit: सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी कानून पर बड़ा फैसला देते हुए बुजुर्ग दंपतियों को राहत दी है। जिन दंपतियों ने 2021 से पहले सरोगेसी प्रक्रिया शुरू की थी, वे नई आयु सीमा पार करने के बाद भी सरोगेसी जारी रख सकेंगे। 

सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी कानून पर अहम फैसला देते हुए बुजुर्ग दंपतियों को राहत दी है। वे दंपति जिन्होंने सरोगेसी कानून (सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021) लागू होने से पहले ही सरोगेसी की प्रोसेस शुरू की थी, वे अब उम्र की नई सीमा पार करने के बावजूद यह प्रक्रिया जारी रख सकते हैं। आपको बताते चले कि कानून के मुताबिक सरोगेसी के लिए महिला की आयु 23 से 50 साल और पुरुष की आयु 26 से 55 साल के बीच होनी चाहिए। जबकि कानून आने से पहले उम्र सीमा का निर्धारण नहीं किया गया था। जानिए सुप्रीम कोर्ट ने आखिर सरोगेसी आयु सीमा के बारे में क्या फैसला सुनाया। 

भ्रूण फ्रीज करा चुके लोगों पर नहीं लगेगा नया नियम

जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा है कि कानून लागू होने से पहले भ्रूण फ्रिज जिन लोगों ने कराया था, उनके लिए कोई नई आयु सीमा लागू नहीं होगी। अधिनियम में दी गई आयु सीमा इन मामलों में पिछली तारीख से लागू नहीं की जाएगी। आयु सीमा तय करने के लिए तय कानून प्रावधान का पहले के मामलों पर किसी भी तरीके से प्रभाव नहीं पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि लागू नियम उन लोगों के लिए हैं, जिन्होंने कानून लागू होने के बाद सरोगेसी का फैसला लिया है। 

और पढ़ें: आखिर क्यों ब्रेस्ट कैंसर की जांच से कतराती हैं महिलाएं? जानिए कैसे मिनटों का टेस्ट

माता-पिता बनने की उम्र नहीं तय करेगा कोई

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि बुजुर्ग दंपत्ति भी बच्चे का पालन पोषण ठीक तरीके से कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया था कि बुर्जुग दंपति बच्चे का पालन पोषण करने के लिए उपयुक्त नहीं होते, जिस बात को अदालत ने अस्वीकार कर दिया था। अदालत में यह कहा कि कोई भी राज्य तय नहीं कर सकती है कि दंपति माता-पिता बनने योग्य हैं या नहीं। जब प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने वाले दंपतियों की आयु सीमा पर प्रतिबंध नहीं है, तो सरोगेसी में कैसे तय किया जा सकता है।

और पढ़ें: अदरक की चाय किस मौसम के लिए हैं बेस्ट, जानें इसके अचूक फायदे