सार

इंग्लैंड में, एक पाँच साल के बच्चे को स्टेम सेल की सख्त ज़रूरत थी। उसकी मदद के लिए 4,855 लोग मूसलाधार बारिश में घंटों कतार में लगकर अपनी जाँच करवाई, यह जानने के लिए कि क्या उनके स्टेम सेल उस बच्चे की जान बचा सकते हैं।

आजकल की दुनिया में अक्सर देखा जाता है कि अगर सड़क पर किसी की जान जा रही होती है, तो लोग मदद करने के बजाय वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने की होड़ में लग जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इस डर से मदद नहीं करते कि कहीं उन पर ही कोई केस न हो जाए। लेकिन, इंग्लैंड में हुई एक घटना ने मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस सोच को बदलकर रख दिया। यहाँ पाँच साल के एक बच्चे को स्टेम सेल की ज़रूरत थी, और विज्ञापन देते ही 4,855 लोग बारिश में घंटों कतार में लगकर उसकी मदद के लिए आगे आ गए।

कुछ साल पहले हुई इस घटना की वीडियो और तस्वीरें अब फिर से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। दरअसल, एक दुर्लभ प्रकार के ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित पाँच साल के बच्चे को स्टेम सेल की सख्त ज़रूरत थी। यह जानने के लिए कि क्या उनके स्टेम सेल इस बच्चे की जान बचा सकते हैं, 4,855 लोग मूसलाधार बारिश में घंटों कतार में खड़े होकर अपनी जाँच करवाई। हर किसी की जाँच करके यह पता लगाना होता है कि उनके स्टेम सेल उस बच्चे से मेल खाते हैं या नहीं, जिसमें काफी समय लगता है। लेकिन, इन लोगों ने बिना समय की परवाह किए, बारिश में भी धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतज़ार किया। 

 

ऑस्कर सैकसेलबी-ली नामक इस बच्चे की जान बचाने के लिए ये सभी लोग आगे आए थे।  बता दें कि कैंसर के इलाज में स्टेम सेल की बहुत अहम भूमिका होती है। ब्लड कैंसर और अन्य रक्त विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक जीवन रक्षक इलाज साबित होता है। भारत की बात करें तो हर साल लगभग एक लाख ब्लड कैंसर के नए मामले सामने आते हैं।  अगर समय पर मरीजों को स्टेम सेल डोनर मिल जाएँ, तो उनका इलाज संभव है और उनकी जान बचाई जा सकती है।  

भारत में, कुल आबादी का केवल 0.04% हिस्सा ही संभावित स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकृत है।  जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 2.7% और जर्मनी में 10% है। दूसरे देशों के मुकाबले भारत में यह संख्या काफी कम है। यही कारण है कि पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत में मरीजों को स्टेम सेल डोनर मिलने की संभावना 10-15% ही होती है, जबकि वहाँ यह 60-70% तक होती है। डॉक्टरों का कहना है कि स्टेम सेल डोनेशन एकदम सुरक्षित है और इससे डोनर को कोई नुकसान नहीं होता।  एक बार स्टेम सेल डोनेट करने के बाद, आप उन्हें हमेशा के लिए खो देते हैं, यह एक भ्रांति है।  वास्तव में, इस प्रक्रिया के दौरान शरीर के कुल स्टेम सेल का एक छोटा सा हिस्सा ही निकाला जाता है।  साथ ही, कुछ हफ़्तों में ये कोशिकाएँ प्राकृतिक रूप से फिर से बन जाती हैं।  डॉक्टरों का यह भी कहना है कि स्टेम सेल डोनेशन करना कोई दर्दनाक प्रक्रिया नहीं है।