सार

डब्ल्यूएचओ ने 2017 में डिजिज X को रिसर्च के लिए टॉप प्रॉयोरिटी माने जाने वाले रोगजनकों की एक सूची में जोड़ा गया है। माना जा रहा है कि इसकी वजह से महामारी फैल सकती है।

हेल्थ डेस्क. डिजिज एक्स (Disease X) का नाम सुनकर ऐसा लग रहा होगा कि इसे किसी ने बनाया होगा। लेकिन इस शब्द का प्रयोग वैज्ञानिक अज्ञात संक्रामक खतरों के लिए मेडिकल टर्म में करते हैं। मतलब किसी अज्ञात बीमारी के फैलने की आशंका हो तो उसका शुरुआती नाम डिजिज एक्स दिया जाता है। इसे लेकर वैज्ञानिक पहले सी वैक्सीन, मेडिसिन ट्रीटमें और डायग्नोसिस टेस्ट समेत प्लेटफ़ॉर्म प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। ताकि भविष्य में महामारी फैलने पर इससे निपटा जा सकें।

'डिज़ीज़ एक्स' (Disease X) क्या है?

यह वर्तमान में अज्ञात, फिर भी गंभीर सूक्ष्मजीवी खतरे के कारण होने वाली बीमारी का कुछ रहस्यमय नाम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2017 में रोग एक्स को गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (एसएआरएस) और इबोला जैसे किलर बीमारी के साथ-साथ रिसर्च के लिए टॉप प्रॉयोरिटी माने जाने वाले रोगजनकों की लिस्ट में डाला गया है।इस मुद्दे को स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच के एजेंडे में शामिल किया गया, जिसमें डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ( WHO Director General Tedros Adhanom Ghebreyesus) अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए शामिल हुए।

लिस्ट में शामिल बीमारी

Covid-19 (कोविड-19)

Crimean-Congo hemorrhagic fever (क्रिमियन-कांगो हेमोरेजिक बुखार)

Ebola virus disease and Marburg virus disease (इबोला वायरस और मारबर्ग वायरस बीमारी)

Lassa fever (लासा बुखार)

Middle East respiratory syndrome (MERS) and SARS (एमईआरएस और सार्स)

Nipah and henipaviral diseases (निपाह और हेनिपावायरस बीमारी)

Rift Valley fever (रिफ्ट वैली बुखारा)

Zika (जिका)

Disease X (डिजिज एक्स)

डिजिज एक्स रिसर्च का मतलब?

जैसा कि डब्ल्यूएचओ का कहना है, यह एक अज्ञात बीमारी के लिए "प्रारंभिक क्रॉस-कटिंग आर एंड डी तैयारियों को सक्षम करने के लिए भी प्रासंगिक है"। पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 की इबोला महामारी से उत्पन्न मानवीय संकट एक चेतावनी थी। दशकों के शोध के बावजूद, 11,000 से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए समय पर उपयोग के लिए कोई प्रोडक्ट नहीं तैयार नहीं है। जवाब में, WHO ने "प्राथमिकता वाली बीमारियों" के लिए उपकरणों की एक सीरीज के विकास में तेजी लाने के लिए एक R&D ब्लूप्रिंट बनाया।

अगली महामारी के लिए शोध कैसा चल रहा है?

SARS-CoV-2 वायरस के म्यूटेशन जारी होने से लेकर कोविड वैक्सीन के पहले तक केवल 326 दिन वैक्सीन तैयार करने में लगे थे। इसी तरह दूसरे महामारी से निपटने के लिए शोध का काम तेजी से होने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इन प्रयासों में शामिल है-

-दुनिया को भविष्य की आपात स्थितियों से बचाने के लिए एक नया वैश्विक समझौता विकसित करना है।

-महामारी के रोकदाम, तैयारी और रिएक्शन के लिए वर्ल्ड बैंक की तरह से जारी एक नया फंड।

-बर्लिन में महामारी और महामारी संबंधी खुफिया जानकारी के लिए एक डब्ल्यूएचओ हब, जिसका उद्देश्य प्रमुख डेटा तक पहुंच में तेजी लाना और संभावित खतरों का आकलन करने के लिए विश्लेषणात्मक उपकरण और पूर्वानुमानित मॉडल विकसित करना है।

-ग्लोबल विरोम प्रोजेक्ट जिसका उद्देश्य जूनोटिक वायरल खतरों की खोज करना और भविष्य की महामारियों को रोकना है।

-महामारी चिकित्सा विज्ञान के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना। इसके अलावा भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। ताकि दुनिया को किसी भी महामारी से बचाया जा सकें।

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