Golden Hour In Stroke: स्ट्रोक भारत में मौत और विकलांगता का एक बड़ा कारण है। लेकिन अच्छी बात यह है कि स्ट्रोक के शुरू होने के बाद शुरुआती 3 से 4.5 घंटे सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जिसे Golden Hour (गोल्डन पीरियड) कहा जाता है।
Stroke Treatment: जब इंसान को स्ट्रोक आता है, तो ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चल पाता है, कि सामने वाले को हुआ क्या है। वो जल्दी अस्पताल ले जाने की बजाय घरेलू उपचार में ही गोल्डन पीरियड्स को खत्म कर देते हैं, जिसकी वजह से मरीज को रिकवर करने की संभावना कम हो जाती है। स्ट्रोक एक इमरजेंसी स्थिति है, ऐसे में वक्त पर उपचार मिलना जरूरी होता है। स्ट्रोक के बाद 4.30 घंटे को ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है, यानी वो वक्त जब अगर इलाज मिल जाए, तो दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाया जा सकता है। आइए डॉक्टर से जानते हैं, इस ‘गोल्डन ऑवर’ के बारे में।
न्यूरोलॉजी डॉक्टर सोनदेव बंसल के मुताबिक स्ट्रोक में सबसे इंपोर्टेंट होता है, विंडो पीरियड, जिसे गोल्डन आवर्स कहते हैं। जो 4.30 घंटे का होता है। लोग उसको निकाल देते हैं। झाड़फूंक में, इधर-उधर जाने में, उनको लगता है कि पैनालायसिस तो ऐसे ही ठीक हो जाएगा, ऐसा कही नहीं है। पैनालायसिस ब्रेन स्ट्रोक हमेशा मेडिकल इमरजेंसी है। आप जितनी जल्दी हॉस्पिटल पहुंचोगे, उतनी जल्दी ट्रीटमेंट स्टार्ट होगा। रिकवरी की चासेंज उतनी अच्छी होगी।
स्ट्रोक कितने तरह के होते हैं?
स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग में खून का फ्लो अचानक रुक जाता है या फिर ब्लीडिंग हो जाती है।
इसके दो प्रकार होते हैं—
- इस्केमिक स्ट्रोक (खून का थक्का बनने से) – लगभग 80%
- हेमरेजिक स्ट्रोक (ब्रेन में ब्लीडिंग)
इस्केमिक स्ट्रोक में सबसे ज्यादा समय मायने रखता है क्योंकि दिमाग की सेल्स हर मिनट नुकसान झेलती हैं।
Golden Hour में क्या करना चाहिए?
अगर किसी को स्ट्रोक के लक्षण दिखें, तो सबसे पहले FAST टेस्ट याद रखें
F – Face: चेहरा टेढ़ा या झुका दिख रहा है क्या?
A – Arm: एक हाथ उठाने पर नीचे गिर रहा है क्या?
S – Speech: बोलने या समझने में दिक्कत है क्या?
T – Time: अगर हां, तो वक्त बर्बाद न करें, तुरंत अस्पताल जाएं।
पहले 4 से 4.30 घंटे में इलाज मिलने पर ब्लॉकेज हटाकर ब्रेन डैमेज को काफी हद तक रोका जा सकता है। इस दौरान ना तो आप घर पर दवा करें या फिर इलाज के लिए इधर-उधर भटके। सीधे मरीज को अस्पताल लेकर जाएं।
समय पर इलाज मिलने से क्या फायदा होता है?
- 90% तक रिकवरी चांस
- बोलने, चलने और याददाश्त पर कम असर
- लकवा होने की आशंका बहुत कम
- ICU में कम दिन रहने पड़ते हैं
- जीवनभर की विकलांगता से बचाव
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किन लोगों को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है?
हाई BP, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों को स्ट्रोक का ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा जो लोग धूम्रपान करते हैं, मोटापा है या फिर तनाव में रहते हैं, उन्हें भी इसके जद में आने की आशंका होती है। दिल की बीमारी वाले पेशेंट पर भी स्ट्रोक का खतरा मंडराता है।
कैसे बचा जा सकता है स्ट्रोक से?
- साल में एक बार ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर कराएं।
- हेल्दी डाइट (फल, सब्जियां, नट्स) खाएं। एक्सरसाइज जरूर करें। 30 मिनट का वॉक करें।
- धूम्रपान और अल्कोहल से दूरी बनाएं।
- पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी भी ब्लड प्रेशर को बढ़ाती है।
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