World Stroke Day: स्ट्रोक तीन प्रकार के होते हैं—इस्केमिक स्ट्रोक, हेमोरेजिक स्ट्रोक और ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक। जानिए इनके कारण, लक्षण और रिस्क फैक्टर जैसे हाई बीपी, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल के बारे में विस्तार से।
Types of Stroke And Risk Factors: हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच स्ट्रोक के कारण, रिस्क फैक्टर से लेकर लक्षणों के बारे में अवेयर कराना है।चेहरे का अचानक से लटक जाना, हाथ पैरों में कमजोरी, बोलने में समस्या पैदा होना या आंखों के सामने धुंधलापन छा जाना आदि स्ट्रोक के लक्षण हैं। आजकल स्ट्रोक की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ रही है। स्ट्रोक एक नहीं बल्कि कई कारणों से होता है। हाई ब्लड प्रेशर के कारण, डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल आदि इस स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं। स्ट्रोक एक नहीं बल्कि तीन प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं स्ट्रोक के मुख्य प्रकार के बारे में।
इस्कीमिक स्ट्रोक
जब मस्तिष्क की किसी धमनी में ब्लड क्लोट जम जाता है, तो ब्लड फ्लो रुक जाता है। इस स्ट्रोक को इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। इसे स्ट्रोक का आम प्रकार माना जाता है। यह स्ट्रोक खराब खानपान से, हाई बीपी के कारण हो सकता है। ब्लड वेसल्स में थक्के बन जाते हैं, जो कि ब्लड फ्लो को रोकने का काम करते हैं।
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हेमोरेजिक स्ट्रोक
ब्रेन के अंदर किसी कारण से जब ब्लड वेसल्स फट जाती है, तो खून बहने लगता है। इस कारण से स्ट्रोक की समस्या हो जाती है। जिन लोगों को ट्यूमर की समस्या होती है, तो इस तरह का स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ जाती है।
ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक
टेंपरेरी स्ट्रोक में ब्लड फ्लो में कुछ समय के लिए रुकावट पैदा होती है। इसके लक्षण कुछ घंटे से लगाकर मिनट तक भी दिखाई देते हैं। अगर ऐसा प्रभाव किसी व्यक्ति को महसूस होता है, तो यह भविष्य में होने वाले स्ट्रोक का संकेत होता है।
स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर क्या होते हैं?
- ब्रेन स्ट्रोक के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज शामिल है।
- जिस व्यक्ति को हार्ट डिजीज या दिल का दौरा पड़ा है, उसमें भी ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना पड़ जाती है।
- जो लोग लंबे समय से शराब का सेवन कर रहे हैं, उनमें भी स्ट्रोक का खतरा रहता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण भी स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
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