How to identify a real Kanjivaram and Banarasi saree?: कांजीवरम और बनारसी, दोनों ही भारत की सबसे रॉयल और क्लासिक सिल्क साड़ियां मानी जाती हैं। लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसा समझ लिया जाता है, जबकि इनके डिजाइन और कल्चर में बड़े अंतर होते हैं।

भारतीय परंपरा और शाही अंदाज का प्रतीक मानी जाने वाली सिल्क साड़ियां, हर महिला के वार्डरोब में होती हैं। जब बात ट्रेडिशनल और रॉयल लुक की हो, तो दो नाम कांजीवरम और बनारसी साड़ी सबसे पहले आते हैं। ये दोनों ही क्लासिक सिल्क साड़ियां हैं, लेकिन इनके बीच बहुत बारीक और दिलचस्प अंतर हैं, जिन्हें जानना हर फैशन लवर के लिए जरूरी है। तो चलिए, जानें कांजीवरम Vs बनारसी साड़ी में क्या फर्क है? सिर्फ डिजाइन ही नहीं, बल्कि इतिहास, बुनाई और पहनने के तरीके तक अलग-अलग हैं।

कांजीवरम और बनारसी साड़ी का इतिहास (Kanjivaram and Banarasi Saree Cultural History ) 

कांजीवरम साड़ी की जड़ें तमिलनाडु के कांचीपुरम शहर में हैं। ये साउथ इंडिया की सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र मानी जाने वाली साड़ी है। पारंपरिक रूप से इसे मंदिरों में पुजारियों के वस्त्रों से प्रेरणा लेकर बनाया गया। वहीं बनारसी साड़ी का जन्म उत्तर भारत के वाराणसी (बनारस) में हुआ। यह मुगलकालीन शाही पोशाकों से इंस्पायर है और अक्सर दुल्हनों के ब्राइडल लुक में नजर आती है। देखा जाए तो दोनों के ऑरिजन में संस्कृति और परंपरा रची बसी है।

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कांजीवरम Vs बनारसी की बुनाई और फैब्रिक क्वालिटी (Kanjivaram and Banarasi Silk Quality) 

कांजीवरम साड़ी में प्योर मलबेरी सिल्क (Mulberry Silk) का इस्तेमाल होता है। इसकी खास बात है कि साड़ी की बॉडी और बॉर्डर अलग-अलग बुने जाते हैं और जरी का जोड़ सोने की तरह मजबूत होता है। वहीं बनारसी साड़ी फाइन सिल्क या ऑर्गेन्जा बेस पर बनी होती है। इस पर महीन जरी वर्क किया जाता है जो अक्सर फूल-पत्तियों, बेल-बूटों और मुगल आर्ट से इंस्पायर होता है। इसीलिए कांजीवरम भारी और टिकाऊ होती है जबकि बनारसी हल्की और एलीगेंट होती है।

कांजीवरम Vs बनारसी साड़ी के डिजाइन (Kanjivaram Vs Banarasi Design Motifs) 

कांजीवरम साड़ी के डिजाइंस में आप मंदिर बॉर्डर, यालि (काल्पनिक जानवर), तोते, हाथी और चेक्स जैसे कई सारे मोटिफ का वर्क देखते हैं। जो कि ट्रेडिशनल साउथ इंडियन आर्ट से लिए जाते हैं। लेकिन बनारसी साड़ियों में शाही पैटर्न जैसे जालदार बेलें, मुगल बुट्टा, अशर्फी डिजाइन और फूलों की कढ़ाई आमतौर पर होती है। ज्यादातर डिजाइन सोने/चांदी के जरी से बनाई जाती हैं। हालांकि रिच और क्लासिक लुक देने में दोनों ही बेमिसाल हैं, लेकिन इनकी आर्टवर्क की भाषा अलग है।

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बनारसी और कांजीवरम साड़ी का वजन (Kanjivaram Vs Banarasi Saree Weight) 

कांजीवरम साड़ियां आमतौर पर भारी वजन वाली होती हैं क्योंकि इनकी बुनाई घनी होती है और बॉर्डर बहुत मोटा होता है। इसे पहनने के लिए थोड़ा अनुभव चाहिए। वहीं बनारसी साड़ियां वजन में थोड़ी हल्की और फ्लोई होती हैं, जिसे कैरी करना आसान होता है। खासकर उन लोगों के लिए जो ट्रेडिशनल आउटफिट में कम्फर्ट ढूंढ़ते हैं। वैसे फंक्शन में लंबे समय तक पहनना हो तो बनारसी ज्यादा आरामदायक लगेगी।

कांजीवरम Vs बनारसी साड़ी की कीमत (Kanjivaram Vs Banarasi Price) 

कांजीवरम साड़ी की कीमत 10,000 से लेकर 2 लाख तक हो सकती है, यह पूरी तरह उसकी सिल्क क्वालिटी और जरी की प्योरिटी पर निर्भर करता है। वहीं बनारसी साड़ियां भी 3000 से शुरू होकर हाई एंड रेंज तक जाती हैं, लेकिन इनमें आपको कई वैरायटीज जैसे कटवर्क, टनचोई, जामदानी मिल जाती हैं। हालांकि कांजीवरम ज्यादा एक्सक्लूसिव होती है जबकि बनारसी साड़ियां वैरायटी और बजट के हिसाब से हर किसी के लिए होती हैं।

कौनसी साड़ी आपके लिए बेस्ट? 

अगर आप शादी, फेस्टिव या कोई पवित्र अवसर के लिए कुछ रिच, ट्रेडिशनल संग विरासत जैसी साड़ी लेना चाहती हैं तो कांजीवरम एक परफेक्ट चॉइस है। वहीं अगर आप शाही लुक के साथ थोड़ी हल्की और स्टाइलिश साड़ी चाहती हैं जिसे बार-बार पहना जा सके, तो बनारसी साड़ी ज्यादा फेशनबल ऑप्शन रहेगी।