Relationship Story: एक मां के लिए उसके सारे बच्चे एक समान होते हैं और सबसे एक सा मोहब्बत करती है। लेकिन यहां पर एक ऐसी कहानी का जिक्र करने जा रहे हैं जिसमें 3 बेटियों में से एक बेटी के घर से बाहर रहने पर वो खुश होती है। 

Relationship Story In Hindi: फैमिली वो जगह होती है जहां पर हर सदस्य को प्यार, सपोर्ट और समझ की उम्मीद होती है। लेकिन क्या हो जब एक मां ही अपनी बच्ची को सबसे बड़ी परेशानी मानने लगें। अमेरिका के एक पिता ने अपनी फैमिली स्थिति को शेयर किया जो हर पैरेंट को सोचने पर मजबूर कर सकती हैं।

रेडिट पर शख्स ने अपनी फैमिली सिचुएशन के बारे में लिखा और पूछा कि इससे बाहर निकलने के लिए क्या करना चाहिए? 41 साल के शख्स ने बताया कि उसकी शादी को 13 साल हो चुके हैं। उनकी 3 बेटियां हैं। पहली 11 साल की, दूसरी 8 साल की और तीसरी 6 साल की है। बड़ी बेटी को हल्का ऑटिज्म है । वह शांत, आज्ञाकारी और अपनी दुनिया में खोई रहने वाली बच्ची है।वहीं, सबसे छोटी बेटी हाई नीड्स ऑटिज्म से पीड़ित है इसलिए उसे लगातार देखभाल की जरूर होती है।

इन दोनों के मुकाबले, बीच की बेटी यानी 8 साल की बच्ची एकदम विपरीत स्वभाव की है। वह सामान्य है, बहुत बातूनी, जिद्दी और लगातार अपनी बात मनवाने की कोशिश करती है। स्कूल में उसकी रिपोर्ट शानदार होती है, लेकिन घर में वह अक्सर तकरार और बहस करती रहती है। उसकी मां से हमेशा बहस होती रहती है।

मां और बेटी के रिश्ते में तनाव

दो बेटी जिसे ज्यादा देखभाल की जरूरत है उससे मां को कोई परेशानी नहीं। लेकिन 8 साल की बेटी सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। शख्स ने आगे बताया कि जब बेटी अपने दोस्तों के साथ होती है या स्कूल में होती है तो सबकुछ ठीक रहता है। उसके पास आइपैड है जिससे वो घंटों दोस्तों के साथ बात करती है। मां जब पढ़ने के लिए कहती है तो वो मानती नहीं हैं। हर चीज पर बहस करना, और बहन को चिढ़ाना एक रूटीन बन गया है।

शख्स ने बताया कि उनकी पत्नी हमेशा कहती है,'मैं नहीं झेल सकती इसे।तुम नहीं जानते ये मेरे साथ क्या करती है।' जब बेटी छुट्टी पर बाहर चली जाती है तो मां जोर से कहती हैं, 'बीच वाली चली गई!' वो खुश होती है। उसने आगे लिखा कि ऐसी बात बच्ची के छवि को प्रभावित करती है। इतना ही नहीं आत्मविश्वास और फैमिली के भीतर उसके रिश्तों पर असर डालती है।

पिता की भूमिका और समझदारी

पिता बताते हैं कि जब वह अकेले बेटी को संभालते हैं, तो सब कुछ बहुत बेहतर रहता है। वह ठीक से रहते हैं। वो ज्यादा ऑप्शन या बहस की गुंजाइश नहीं छोड़ते हैं। जबकि मां अक्सर बहस में उलझ जाती हैं, और बाद में भी उसी मुद्दे को बार-बार उठाती हैं, जिससे तनाव और बढ़ता है।

समाधान की राह क्या हो सकती है?

कई रेडिट यूजर ने इसपर अपनी राय रखी है। एक यूजर ने लिखा,'मैं आपको और आपकी पत्नी को किसी फैमिली थेरेपिस्ट से मिलने की सलाह दूंगा।' वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा कि आप एक अच्छे पिता हैं। आपकी दोनों बेटियों को होमस्कूलिंग की वजह से मां के साथ ज्यादा वक्त मिलता है। लेकिन आपकी मझली बेटी को कितना वक्त मां देती है ये देखने वाली बात है। हो सकता है कि वो आप लोगों से ज्यादा वक्त चाहती हो। उसके साथ प्यार से पेश आएं नहीं तो वो दूर हो सकती है। वहीं एक यूजर ने लिखा कि नेगिटिव लेबलिंग से बचें। जब माता-पिता बच्चों को “मुसीबत” या “बिगड़ी हुई” जैसे नाम देते हैं, तो वे उसी तरह बर्ताव करने लगते हैं।

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