Divorce Case: 14 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी को तलाक की मंजूरी देते हुए सभी केस खत्म कर दिए। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति पत्नी और बेटे के भरण-पोषण के लिए 1 करोड़ रुपए स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में अदा करेगा।
Supreme Court Divorce Case: 14 साल की कानूनी लड़ाई में एक महिला को जीत मिली है। अपने और अपने बच्चे के भरण-पोषण के लिए वो पति से कानूनी जंग लड़ रही थी, जिसका फाइनल समाधान सुप्रीम कोर्ट ने किया। उसने महिला को परमानेंट एलिमनी दिलाई। कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी को 1 करोड़ रुपए गुजारा भत्ता दे। आइए जानते हैं, पूरा मामला।
2009 में हुई शादी, 2010 में अलगाव
यह मामला 5 अक्टूबर 2009 की शादी से जुड़ा है। शादी के एक साल बाद ही पत्नी घर छोड़कर मायके चली गई थी। पत्नी का आरोप था कि उसे ससुराल में मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके कारण वह 15 अप्रैल 2010 को ससुराल छोड़कर मायके चली गई। इसी दौरान 28 दिसंबर 2010 को उसने बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बाद भी पति-पत्नी के बीच कोई सुलह नहीं हुई।
पत्नी ने दायर किए कई केस
2013 में, पत्नी ने CrPC की धारा 125 के तहत अपने और बेटे के लिए भरण-पोषण की याचिका दाखिल की। 2019 में, उसने घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत एक और केस दायर किया। जिस पर ट्रायल कोर्ट ने पति को 5 हजार रुपए किराया, 10 हजार पत्नी के भरण पोषण के लिए और 5 हजार बेटे के खर्च और 5 हजार उसकी शिक्षा के लिए देने का आदेश दिया। यानी 20 हजार हर महीने पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश सुनाया। इसके साथ ही धारा 22 के तहत पत्नी को ₹4 लाख का मुआवजा भी दिया गया।
अपीलों का सिलसिला
ट्रायल कोर्ट में फैसला आने के बाद फिर से दोनों पक्षों ने अलग-अलग अदालतों में अपीलें दायर कीं। 2021 में, सेशन कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका खारिज कर दी और पति की कुछ याचिकाओं को आंशिक रूप से मंजूर किया, जिससे ₹4 लाख मुआवजे का आदेश रद्द हो गया।
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सुप्रीम कोर्ट में अंतिम फैसला
फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। यहां पर पत्नी ने SLP(Crl) No.6685/2024 और पति ने SLP(Crl) No.14187/2023 दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति को पहले से लंबित रखे गए मेंटेनेंस के बकाए चुकाने होंगे। 29 जुलाई 2025 को अदालत ने बताया कि पति की ओर से दिए गए बयान के अनुसार, वह पत्नी और बेटे के लिए पहले से दिए गए भरण-पोषण के अतिरिक्त ₹1,00,00,000 (एक करोड़ रुपये) स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में देने को तैयार है।
मामला हुआ खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने इस समझौते के साथ दोनों के बीच चल रहे सभी केस बंद कर दिए।इस फैसले से न केवल इस परिवार का 14 साल पुराना विवाद खत्म हुआ। 1 करोड़ रुपए देने के बाद पति को दोबारा पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देना होगा।
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