सार
एमपी की आर्थिक राजधानी इंदौर से एक दुखद खबर सामने आई है। जहां शनिवार शाम दिंगबर जैन संत आचार्य श्री 108 विमद सागर महाराज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद से इलाके में हड़कंप मच गया ।
इंदौर (मध्य प्रदेश). एमपी की आर्थिक राजधानी इंदौर से एक दुखद खबर सामने आई है। जहां शनिवार शाम दिंगबर जैन संत आचार्य श्री 108 विमद सागर महाराज (jain sant acharya shri vimad sagar maharaj) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद से इलाके में हड़कंप मच गया और सैकड़ों श्रद्धालु मौके पर जमा हो गए। मौके पर पुलिस-प्रशासन पहंचा हुआ है।
संत 3 दिन पहले ही आए थे इंदौर
दरअसल, आचार्य विमद सागर इंदौर में चातुर्मास के सिलसिले में आए थे। मिली जानकारी के मुताबिक, संत 3 दिन पहले ही आए थे। जहां वह इंदौर के परदेशीपुरा के दिगंबर जैन मदिंर में ठहरे हुए थे। मामले की जांच कर रहे सीएसपी निहित उपाध्याय ने बताया कि शनिवार शाम को संत का शव जैन धर्मशाला के एक कमरे में पंखे से लटका मिला है। वहीं बाहर से दरवाजा बंद था। काफी समय तक जब कमरे से कोई हलचल नहीं हुई तो लोगों को खिड़की से झांका तो वह पंखे से लटके हुए थे। शुरूआती जांच में अभी सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल सका है।
1992 में लिया था आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत
बता दें कि संत विमद सागर महाराज मूल रुप से सागर जिले के शाहगढ़ के रहने वाले थे। उनका गृहस्थावस्था में संजय कुमार जैन नाम था। संत का जन्म 9 नवंबर 1976 को हुआ। उनके पिता का नाम शीलचंद चैन और मां सुशीला है। संत ने 8 अक्टूबर 1992 में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया। मिली जानकारी के मुताबिक, संत 3 दिन पहले ही इंदौर में चातुर्मास के लिए आए थे। इससे पहले वह रतलाम रुके हुए थे।
1996 में विराग महाराज से ली थी दीक्षा
संत विमद महाराज ने आचार्य श्री विराग सागर महाराज से क्षुल्लक दीक्षा 28 जनवरी 1996 में सागर मंगलगिरि में ली थी। इसके बाद ऐलक दीक्षा 28 जून 1998 को शिकोहाबाद के शोरीपुर में ली। 14 सितंबर 1998 को भिंड के बरासो में विराग सागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ली।