सार


याचिका में कहा गया था कि पंचायत कानून में रोटेशन व्यवस्था की गई है। अध्यादेश रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। 2018 में निवाडी जिला बना था। बिना सीमांकन किये नए जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराया जा सकता है। जिला पंचायत, जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद भी रोटेशन प्रक्रिया के तहत निर्धारित होने चाहिए।

भोपाल :  मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ नहीं हुआ है। हाईकोर्ट के चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है। कांग्रेस (congress) की तरफ से देश की शीर्ष अदालत में दायर याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले पर शनिवार यानी 11 दिसंबर को सुनवाई होगी। कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की थी। कांग्रेस को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय पंचायत चुनाव पर रोक लग सकती है। बता दें कि 9 दिसंबर को हाईकोर्ट में करीब 40 मिनट तक चली बहस में कोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया था। 

क्या है पूरा मामला
दरअसल शिवराज सरकार ने 2014 के आरक्षण के आधार पर पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया है, जिसका कांग्रेस द्वारा विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस की मांग है कि पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रणाली का पालन किया जाए। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि हाईकोर्ट में सुनवाई चल ही रही थी कि राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रणाली अपनाने की मांग करते हुए पंचायत चुनाव पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। 

रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है अध्यादेश
याचिका में कहा गया था कि पंचायत कानून में रोटेशन व्यवस्था की गई है। अध्यादेश रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। 2018 में निवाडी जिला बना था। बिना सीमांकन किये नए जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराया जा सकता है। जिला पंचायत, जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद भी रोटेशन प्रक्रिया के तहत निर्धारित होने चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से विवेक तनखा,पूर्व महाधिवक्ता शशांक शेखर और हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था
गुरुवार को हाईकोर्ट ने प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 (O) के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद कोर्ट चुनाव प्रक्रिया में दखलंदाजी नहीं कर सकता। ग्वालियर बेंच ने भी इस मसले पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। लिहाजा कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट ने अंतरिम आवेदन निरस्त कर मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पंचायत राज संचालनालय के आयुक्त सह संचालक एवं राज्य चुनाव आयोग से जवाब मांगा।

कब दायर हुई याचिका
इस मामले में मझौली जिला सीधी के स्व. छोटेलाल साकेत ने अधिवक्ता अनूप सिंह के जरिए सबसे पहली याचिका दायर की। बाद में अन्य याचिकाएं तीनो खंडपीठों में दायर हुई। सबकी सुनवाई एक साथ की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, शशांक शेखर और महेंद्र पटेरिया ने कोर्ट को बताया कि 21 नवंबर 2021 को राज्य सरकार ने अध्यादेश जारी कर आगामी पंचायत चुनाव में 2014 के आरक्षण रोस्टर और परिसीमन के आधार पर चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। इसके बाद राज्य सूचना आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए 4 दिसंबर 2021 को अधिसूचना जारी कर दी। बता दें कि प्रदेश में पंचायत चुनाव के पहले चरण में 6 जनवरी को मतदान होगा।

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