सार
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक दिलचस्प मामला सामने आया है । जहां एक कांस्टेबल को अपनी मूंछों से इतना प्यार है कि उसने इनकी खातिर पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी। अधिकारी ने सिपाही को लंबू मूछ कटवाने का आदेश दिया था, लेकिन जब उसने बात नहीं मानी तो उसे संस्पेंड कर दिया गया।
भोपाल (मध्य प्रदेश). बॉवीवुड की एक सुपरहिट फिल्म में एक डायलॉग को हर किसी ने सुना होगा। जिसमें एक एक्टर कहता है कि ''मूंछें हों तो नत्थू लाल जैसी, वरना ना हों'' कुछ ऐसी कहावत को सच करने वाली कहानी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सामने आई है। जहां एक कांस्टेबल को अपनी मूंछों से इतना प्यार है कि उसने इनकी खातिर पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी। अधिकारी ने सिपाही को लंबू मूछ कटवाने का आदेश दिया था, लेकिन जब उसने बात नहीं मानी तो उसे संस्पेंड कर दिया गया।
मूछों की खातिर दी खाकी वर्दी की कुर्बानी
दरअसल, यह मामला भोपाल का है, जहां कांस्टेबल राकेश राणा पुलिस महानिदेशक (कॉ-ऑपरेटिव फ्रॉड और लोक सेवा गारंटी) के वाहन पर चालक के रूप में तैनात है। जिसे अपनी स्टाइलिश मूंछे बेहद प्यारी हैं, उसने कई सालों से अपनी मूंछों को कटवाया नही हैं। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले विभाग के अधिकारियों ने उसे अपनी मूंछे कटवाने के लिए निर्देश दिए थे। लेकिन उसने आदेश नहीं मानते हुए मना कर दिया था।
पुलिस विभाग ने निकाला संस्पेंड का आदेश
बता दें कि सिपाही को सख्त हिदायत देते हुए सहायक पुलिस महानिरीक्षक ने बाकायदा एक आदेश जारी किया। जिसमें लिखा- आरक्षक चालक 1555 राकेश राणा ने आदेश का पालन नहीं किया। उसके बाल बढ़े है एवं मूछें अजीब डिजाइन वाले हैं जो कि पुलिस विभाग के हिसाब से ठीक नहीं हैं। मना करने के बाद भी उसने आदेश की अवहेलना की है। वह अपने बाल और मूंछ जस की तस रखने की जिद पर अड़ा रहा। जो कि यूनिफार्म सेवा में अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उसके इस व्यवहार से अन्य पुलिसकर्मियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए सिपाही राकेश मीणा को तत्काल प्रभाव से संस्पेंड किया जाता है।
मूंछ ही मेरी शान है, नौकरी जाए तो गम नहीं
वहीं इस पूरे मामे पर कांस्टेबल राकेश मीणा ने कहा-मैं राजपूत हूं, मूंछ ही मेरी पहचान और शान है, नौकरी रहे ना रहे, लेकिन मूछें नहीं कटूंगा। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सेना के हाथों पकड़ने जाने के बाद ग्रुप कैप्टन अभिनंदन एक पहचान बन गए थे। उसके बाद से लोग मुझे भी उनकी ही तरह मूछें देख अभिनंनद कहने लगे थे। मुझे पुलिस की नौकरी पसंद थी और वर्दी पर यह और भी अच्छी लगती थीं। लेकिन नौकरी जाती है तो चली जाए, लेकिन मूंछ तो नहीं कटवाऊंगा।
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