सार

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक ऐसी शादी हुई है जो इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। जिसमें पैसा खर्च करने की बजाए बचाया गया है वह भी अनोखे तरीके से विवाह करके। क्योंकि यहां दूल्हा दुल्हन को लेने के लिए नाव पर बारात लेकर गया और उसी नाव में दुल्हनिया को लेकर आया।

खरगोन (मध्य प्रदेश). आजकल हेलिकॉप्टर में दुल्हन को विदा कराके लाने और बारात ले जाने के ट्रेंड सा बन गया है। हर कोई दिखावे के चक्कर में कुछ हटकर प्रयोग करता रहता है। लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक ऐसी शादी हुई है जो इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। जिसमें पैसा खर्च करने की बजाए बचाया गया है वह भी अनोखे तरीके से विवाह करके। क्योंकि यहां दूल्हा दुल्हन को लेने के लिए नाव पर बारात लेकर गया और उसी नाव में दुल्हनिया को लेकर आया।

नाव में बना था दूल्हा-दुल्हन का शानदार स्टेज
दरअसल, कुछ हटकर यह विवाह खरगोन जिले के बलवाड़ा गांव में देखने को मिला। जहां दूल्हा 20 क‍िमी का फेर बचाकर नाव से नर्मदा पार कर धार जिले के बलगांव में नाव से बारात लेकर पहुंचा हुआ था। नाव मंडप की तरह सजाया गया था। इतना ही नहीं नाव पर ही दूल्हा-दुल्हन का स्टेज बनाया गया था। देखने पर ऐसा लग रहा था कि यह नाव ना होकर किसी बड़े फाइव स्टार होटल में स्टेज बना हो।

नाव को दुल्हन की तरह सजाया गया था
दुल्हन की तरह इस नाव को सजाया गया था। जिसमें एक महाराजा स्टाइल की एक कुर्सी भी रखी हुई थी और उस पर दूल्हा कपिल पटेल और बाराती साफा बांधे सवार थे। जैसे ही बारात नर्मदा किनारे पहुंची तो दुल्हन के घरवालों ने बारात की अगुवानी करते हुए स्वागत किया। इसके बाद वहीं नदी किनारे एक बलगांव के मौनी बाबा आश्रम में दूल्हा-दुल्हन ने विवाह की सभी रस्में पूरी करते हुए 7 फेरे लिए।

20 साल बाद दिखा ऐसा गजब नजारा
शादी के बारे में जानकारी देते हुए एक बाराती दिलीप पटेल ने बताया कि दूल्हा-दुल्हन के गांव की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। ऐसे में दोनों  परिवार के लोगों ने आपसी सहमति से नर्मदा पार कर तट पर एक आश्रम में विवाह करने का फैसला किया था। जो कि दूल्हे के घर से एक किमी दूर था। युवक ने बताया कि करीब 20 साल बाद ऐसा देखने को मिला है जब कोई बारात नाव से  नर्मदा पार करके गई है। 

एक विवाह ऐसा भी: DSP साहब दुल्हन को साइकिल पर बिठाकर ले गए, शादी में दिखी हजारों साल पुरानी संस्कृति की झलक

यह भी पढ़ें- Bihar में अनोखी शादी: न बैंडबाजे, न 7 फेरे-सिंदूरदान, 2 जजों ने संविधान की शपथ ली और डाल दी एक-दूजे को वरमाला