सार
ग्रामीणों ने गांव के देवनारायण मंदिर पर भगवान से मन्नत मांगी थी कि अगर कोरोना की दोनों लहरों में हमारे गांव में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई तो गांव के हर घर से एक व्यक्ति अपना मुंडन कराएगा। बस इसी मन्नत को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष के अंतिम दिन 31 दिसंबर को सभी ने सामूहिक रूप से अपना मुंडन करवाया।
नीमच (मध्य प्रदेश). देशभर में कोरोना के नए वैरियंट ओमिक्रॉन जिस रफ्तार से बढ़ रहा वह बेहद डरावना होता जा रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की कई कड़ी पाबांदियों के बावजूद भी संक्रमण कम होने की बजाए बढ़ते जा रहे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश के नीमच जिले से कोरोना को रोकने के लिए एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां, पहली और दूसरी लहर में एक भी ग्रामीण की मौत नहीं हुई। इसी खुशी सेलिब्रेट करने के लिए गांव 100 से ज्यादा लोगों ने अपना सामूहिक मुंडन करवाया और ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला। साथ कोरोना को खत्म करने का संकल्प भी लिया।
नव वर्ष के स्वागत और साल के आखिरी दिन दिखा अनोखा मामला
दरअसल, यह अनोखा मामला नीमच जिले के मनासा तहसील के गांव देवरी खवासा का है। जहां कोरोना काल मे गांव में किसी भी व्यक्ति की संक्रमण की चपेट में आने से मौत नही हुई है। इसी बीत की खुशी में ग्रामीणों ने साल 2021 के आखिरी दिन और नए साल के स्वागत में एक उत्सव का आयोजन किया। जिसके तहत गांव के सभी मंदिरों में जाकर माथा टेका और कोरोना से दूर रखने के लिए पूजा आराधना की। इस दौरान ग्रामीण ढोल नगाड़ों की थाप पर झूमते गाते नजर आए।
गांव के सभी लोगों ने मांगी थी ऐसी मन्नत
बता दें कि ग्रामीणों ने गांव के देवनारायण मंदिर पर भगवान से मन्नत मांगी थी कि अगर दोनों लहरों में हमारे गांव में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई तो गांव के हर घर से एक व्यक्ति अपना मुंडन कराएगा। बस इसी मन्नत को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष के अंतिम दिन 31 दिसंबर को सभी ने सामूहिक रूप से अपना मुंडन करवाया। जिसमें बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में यह उत्साह देखा गया। सभी ने मंदिर में जाकर ईश्वर को धन्यवाद दिया और तीसरी लहर से बचाने के लिए पूजन-आरती की गई।
सामूहिक भोज का किया गया आयोजन
इस पूरे आयोजन के दौरान ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि इस साल भी हम कोरोना को लेकर जागरूक रहेंगे। साथ बिना मास्क के घर से बाहर नहीं निकलेंगे। इस बीच पूरे गांव का सामूहिक भोज कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। जिसमें प्रत्येक घर से खाने-पीने का सामान लिया गया था। यह भोज ग्रामीणों ने ही तैयार किया था।