सार
एमएसआरटीसी (MSRTC) के कर्मचारियों के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा पिछले हफ्ते 41 प्रतिशत वेतन बढ़ाने की घोषणा की गई है। लेकिन हम चाहते हैं कि निगम का विलय सरकार में हो, जिससे वेतन का संकट नहीं खड़ा हो।
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (Maharashtra State Road Transport Corporation- MSRTC) के कर्मचारियों की हड़ताल (MSRTC Strike) पिछले एक महीने से जारी है। वेतन बढ़वाने और निगम का राज्य सरकार में विलय करने की मांग को लेकर 28 अक्टूबर से सरकारी बसों के पहिए थमे हैं। पिछले हफ्ते परिवहन मंत्री Anil Parab ने 41 फीसदी तक वेतन बढ़ाने की घोषणा की थी, जिसके बाद 27 नवंबर को 92,266 कर्मचारियों में से 18,090 ड्यूटी पर लौट आए थे। इनमें 2,130 ड्राइवर और 2,112 कंडक्टर हैं। लेकिन बाकी कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर डटे हैं। इसके बाद सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी। करीब 1,700 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। 8,000 को सस्पेंड कर दिया गया।
सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज
कर्मचारियों ने अब सोशल मीडिया (Social Media) पर आवाज उठानी शुरू की है। उनके समर्थन में बाहरी लोग भी आए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि हड़ताल का अधिकार सभी के पास है। लेकिन महाराष्ट्र की उद्धव सरकार (Uddhav Thackeray Government) जिस तरह से कार्रवाई कर रही है, वह कतई ठीक नहीं है। लोगों का कहना है कि मीडिया भी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) की सरकार की प्रवक्ता बनी हुई है। वे सिर्फ ये दिखा रहे हैं कि हड़ताली कर्मचारी किस तरह से प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन उनकी बात कोई नहीं कर रहा। लोगों का कहना है कि यह अमानवीय बर्ताव है। कुछ लोगों ने विपक्ष पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकार जाने के बाद से वे यहां के मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
शुक्रवार को हुई बैठक के बाद मंत्री ने दी थी चेतावनी
MSRTC कर्मचारी संघ के साथ बैठक के बाद शुक्रवार को महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब (Anil Parab) ने कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील की थी। उन्होंने ऐसा नहीं करनेवालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बाद से कार्रवाई जारी है।
राज्य सरकार में विलय और वेतन के मुद्दे पर हड़ताल
कर्मचारियों का बड़ा तबका निगम का राज्य सरकार में विलय से कम की शर्त पर हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं है। उधर, सरकार का तर्क है कि इस संबंध में कमेटी की रिपोर्ट आना बाकी है। उस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट का फैसला आएगा। तभी कोई कदम उठाया जा सकता है। तब तक सरकार ने अंतरिम रूप से कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की बात कही है। सरकार ने समय पर वेतन देने और वेतन बढ़ाने की कर्मचारियों की मांग मान ली है। इसके विरोध में कर्मचारी एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं।
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