सार

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगे (2002 Gujarat Riots) के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया है।

अहमदाबाद। 2002 के गुजरात दंगे के मामले (2002 Gujarat Riots Case) में शनिवार को गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दिया। कोर्ट ने सीतलवाड़ को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया। सीतलवाड़ पर फर्जी सबूत और गवाह गढ़ने के आरोप लगे हैं।

पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दिया था। इसके चलते वह गिरफ्तारी से बची हुई हैं। सीतलवाड़ के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सीतलवाड़ के सुप्रीम कोर्ट जाने तक आदेश पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सीतलवाड़ पर फिर से गिरफ्तार होने और जेल जाने का खतरा मंडराने लगा है।

क्या है मामला?

तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारी आरबी श्रीकुमार को कथित तौर पर सबूत गढ़ने, जालसाजी करने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सीतलवाड़ को गुजरात के साबरमति जेल में रखा गया था। पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दिया था। इसके बाद वह जेल से बाहर आईं थी।

सीतलवाड़ पर 2002 में गुजरात में हुए दंगे के मामले में झूठे सबूत और फर्जी गवाह का इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप है। इस संबंध संबंध में गुजरात एटीएस ने FIR दर्ज किया था। FIR में आरोप लगाया गया है कि गवाहों के झूठे बयान तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा तैयार किए गए थे और दंगों की जांच के लिए गठित नानावती आयोग के समक्ष दायर किए गए थे। सीतलवाड़ और श्रीकुमार ने झूठे सबूत गढ़कर और निर्दोष लोगों के खिलाफ झूठी और दुर्भावनापूर्ण आपराधिक कार्यवाही शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रची थी।

तीस्ता सीतलवाड़ ने रची थी नरेंद्र मोदी को फांसी दिलाने की साजिश

गुजरात दंगों में पीएम नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए सबूतों को गढ़ने के मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात सरकार को बदनाम करने की साजिश रची। उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 के गोधरा दंगों के संबंध में मौत की सजा दिलाने की साजिश की।