सार

शहद कोरोना संक्रमण के विरुद्ध इम्यूनिटी पावर देता है। इसलिए दुनियाभर में शक्कर के बजाय इसका सेवन बढ़ गया है। भारत दुनिया में 9वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। पिछले साल देश ने 716 करोड़ रुपए का शहद निर्यात(export) किया था। अब इसका प्रॉडक्शन बढ़ाने कई योजनाओं पर काम हो रहा है। जानिए क्या है स्थिति...

नई दिल्ली. देश में 'मीठी क्रांति' को बढ़ावा देने कोशिशें जारी हैं। मीठी क्रांति मायने शहद का उत्पादन बढ़ाना। शहद कोरोना संक्रमण के विरुद्ध इम्यूनिटी पावर होता है। इसलिए दुनियाभर में शक्कर के बजाय इसका सेवन बढ़ गया है। भारत दुनिया में 9वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है। पिछले साल देश ने 716 करोड़ रुपए का शहद निर्यात(export) किया था। अब इसका प्रॉडक्शन बढ़ाने कई योजनाओं पर काम हो रहा है। 

मीठी क्रांति का विजन
मधुमक्खी पालन और उससे जुड़े क्रियाकलापों को बढ़ावा देने के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘मीठी क्रांति' के विजन को आगे लाए हैं। इसके तहत शहद की निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) गुणवत्तापूर्ण उत्पादन तथा नए देशों में बाजार के विस्तार के जरिये निर्यातों को बढ़ावा देने पर बल दे रहा है।

अमेरिकी का 80 प्रतिशत भागीदारी
वर्तमान में भारत के प्राकृतिक शहद का निर्यात मुख्य रूप से एक ही बाजार अमेरिका पर निर्भर है। इसकी निर्यात में 80 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सेदारी है। एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने कहा, ‘हम अन्य देशों तथा अमेरिका, यूरोपीय संघ तथा अन्य देशों तथा दक्षिण पूर्व एशिया जैसे अन्य क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों, किसानों तथा अन्य हितधारकों के निकट सहयोग के साथ कार्य कर रहे हैं। भारत शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों द्वारा लगाए टैक्स  पर भी फिर से बातचीत कर रहा है।

ये भी कोशिशें जारीं
एपीडा विभिन्न स्कीमों, गुणवत्ता प्रमाणन तथा प्रयोगशाला परीक्षण के तहत सरकारी सहायता का लाभ उठाने के अतिरिक्त निर्यात बाजारों तक पहुंचने में  शहद उत्पादकों को सुविधा उपलब्ध कराता रहा है। एपीडा उच्चतर माल ढुलाई लागत, शहद के शीर्ष निर्यात सीजन में कंटेनरों की सीमित उपलब्धता, उच्च न्यूक्लियर मैगनेटिक रेजोनेंस परीक्षण लागत तथा अपर्याप्त निर्यात प्रोत्साहन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए निर्यातकों के साथ काम कर रहा है।

भारत से शहद का निर्यात
भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 716 करोड़ रुपये (96.77 मिलियन डॉलर) के बराबर के 59,999 मीट्रिक टन (एमटी) प्राकृतिक शहद का निर्यात किया 44,881 एमटी के साथ जिसमें अमेरिका की प्रमुख हिस्सेदारी रही। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश तथा कनाडा भारतीय शहद के लिए अन्य शीर्ष गंतव्य रहे। भारत ने अपना पहला संगठित निर्यात वर्ष 1996-97 में आरंभ किया।

दुनिया में 9वां स्थान
2020 में विश्व भर में 736,266.02 एमटी का शहद निर्यात किया गया। शहद के उत्पादक तथा निर्यातक देशों में भारत का स्थान क्रमश 8वां और 9वां है।  वर्ष 2019 में विश्व शहद उत्पादन 1721 हजार मीट्रिक टन का रहा था। इसमें सभी पराग संबंधित स्रोतों, जंगली फूलों तथा जंगल के वृ़क्षों से प्राप्त शहद शामिल है।  चीन, तुर्की, ईरान और अमेरिका विश्व के प्रमुख शहद उत्पादक देशों में शामिल हैं जिनकी कुल विश्व उत्पादन में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।

कोरोना संक्रमण रोकने में प्रभावी
पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा महाराष्ट्र देश में प्राकृतिक शहद उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। भारत में उत्पादित शहद के लगभग पचास प्रतिशत का उपभोग घरेलू रूप से किया जाता है तथा शेष का दुनिया भर में निर्यात कर दिया जाता है। शहद के निर्यात की, विशेष रूप से कोविड 19 महामारी के दौरान प्रचुर संभावना है क्योंकि प्रतिरक्षण को बढ़ावा देने में एक प्रभावी प्रतिरक्षक तत्व तथा चीनी की तुलना में स्वस्थकर विकल्प के रूप में इसका उपभोग वैश्विक रूप से बढ़ गया है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के लिए तीन वर्षों ( 2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी। इस मिशन की घोषणा फरवरी, 2021 में आत्म निर्भर भारत के हिस्से के रूप में की गई थी। 

मीठी क्रांति का कार्यान्वयन
एनबीएचएम का उद्वेश्य ‘मीठी क्रांति‘ जिसका कार्यान्वयन राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के जरिये किया जा रहा है, के लक्ष्य को अर्जित करने के लिए देश में वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को समग्र रूप से बढ़ावा देना तथा उसका विकास करना है। मिनी मिशन के लिए 170 करोड़ रुपये का बजट है। इसका उद्वेश्य देश में मधुमक्खी पालन को विकसित करना, शहद क्लस्टरों का विकास करना, शहद की गुणवत्ता तथा उत्पादकता में सुधार लाना और निर्यात को भी बढ़ावा देना है। 
 

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