Delhi NCR Terror Module Exposed: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल में हर डॉक्टर का रोल तय था-डॉ. मुजम्मिल भर्ती करता, डॉ. शाहीन ब्रेनवॉश व फंडिंग संभालती और डॉ. उमर साजिश रचता था। मरीजों को टारगेट कर नेटवर्क फैलाया गया।
White Collar Terror Module: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों से जुड़ा यह व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल जितना शांत नजर आता था, अंदर से उतना ही खतरनाक निकला। जांच में खुलासा हुआ है कि इस मॉड्यूल के तीन चेहरे-डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद और ब्लास्ट में मारा गया डॉ. उमर नबी-अपना-अपना तय रोल निभा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि लोग जिन डॉक्टरों पर इलाज का भरोसा करते थे, वही डॉक्टर आतंक की जड़ें फैलाने में लगे थे। पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह नेटवर्क अस्पताल, कॉलेज और स्थानीय लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी के बीच ही चल रहा था, बिना किसी को शक हुए। डॉ. मुजम्मिल लोगों से मदद के बहाने मिलता था, डॉ. शाहीन उन्हें ब्रेनवॉश करती थी, और डॉ. उमर साजिशों की प्लानिंग संभालता था। साधारण दिखने वाले इन डॉक्टरों की असल दुनिया पूरी तरह अलग और खतरनाक थी।
आखिर कैसे चलता था यह ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’?
इस मॉड्यूल का ऑपरेशन तरीका सीधा था, लेकिन बेहद चालाकी भरा। हर सदस्य को पहले से ही उसकी भूमिका समझा दी गई थी, ताकि किसी को पता भी न चले और नेटवर्क लगातार चलता रहे।
डॉ. मुजम्मिल: मरीजों की ‘मदद’ के बहाने फंदा कैसे डालता था?
- इस मॉड्यूल में सबसे आगे था आतंकी डॉ. मुजम्मिल।
- उसका काम था भर्ती करना।
वह अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के साथ ‘हमदर्दी’ दिखाता था, जरूरत पड़ने पर छोटी-मोटी आर्थिक मदद और भरोसे की बात करता था। इसी बहाने वह लोगों से नजदीकी बढ़ाता और फिर उन्हें धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा लेता। जांच में पता चला कि उसका पहला टारगेट शोएब था, जो धौज की अफसाना का जीजा है। मुजम्मिल ने उसकी कमजोरियों को समझा, सहानुभूति दिखाई और फिर उसे अपने कामों में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
डॉ. शाहीन: ब्रेनवॉश और पैसों की जिम्मेदारी क्यों थी उसके पास?
- नेटवर्क की दूसरी बड़ी कड़ी थी आतंकी डॉ. शाहीन सईद।
- उसका काम था आर्थिक मदद जुटाना और ब्रेनवॉश करना।
शाहीन का तरीका बेहद शांत लेकिन असरदार था। वह धार्मिक तर्क, भावनाएं और ‘न्याय’ जैसी बातों के जरिए लोगों के दिमाग में धीरे-धीरे ज़हर घोलती थी। कई युवाओं को उसने यह यकीन दिला दिया था कि वे किसी ‘बड़े काम’ का हिस्सा बन रहे हैं।
डॉ. उमर: आखिर कौन थी यह साजिश रचने वाली ‘मास्टरमाइंड कड़ी’?
मॉड्यूल का तीसरा और सबसे खतरनाक सदस्य था आतंकी डॉ. उमर नबी।
उसकी भूमिका थी -
- पूरी साजिश की प्लानिंग
- कार छिपाना
ऑपरेशन कब और कैसे चलेगा, यह तय करना
उमर को प्लानिंग का मास्टर माना जाता था। ब्लास्ट में उसकी मौत के बाद कई राज सामने आए, जिनसे पता चलता है कि वही इस पूरे नेटवर्क का असली ऑपरेटर था।
नए लोगों को कैसे जोड़ता था यह मॉड्यूल?
- मॉड्यूल में शामिल हर व्यक्ति किसी न किसी भरोसे की डोर से अंदर आता था।
- जैसे-शोएब ने साबिर से दोस्ती की और कश्मीरी छात्रों के लिए सिम खरीदना शुरू किया।
- फिर धौज का बाशिद भी उमर की कार छिपाने में मदद करने लगा।
- धीरे-धीरे यह नेटवर्क बिना शोर किए फैलता गया।


