सार
सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का आठवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है गरीब पार्टी के अमीर कार्यकर्ता और पड़ोसी की जलन का मजेदार किस्सा।
From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का आठवां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ मजेदार और रोचक किस्से।
हेड्स मैं जीता, टेल्स तुम हारे..
संभावित कैबिनेट विस्तार को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों में हलचल तेज है। केंद्र और कर्नाटक दोनों ही जगह सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। हालांकि, कर्नाटक में कोई भी केंद्र में नए पद की उम्मीद नहीं कर रहा है। इसकी वजह साफ है, क्योंकि चार प्रमुख लोग पहले से ही केंद्रीय मंत्री हैं। हालांकि, बावजूद इसके कर्नाटक में लोगों को कॉल का इंतजार है। इस रेस में शिवमोग्गा के सांसद बीवाई राघवेन्द्र और कलबुर्गी के सांसद उमेश जाधव सबसे आगे चल रहे हैं। ये दोनों लिंगायत समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले बीएस येदियुरप्पा को खुश करने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह ने खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से साफ कहा था कि इस वक्त येदियुरप्पा की नाराजगी वाले किसी भी कदम का स्वागत नहीं किया जाएगा। बता दें कि बोम्मई बासनगौड़ा पाटिल यतनाल, अरविंद बेलाड और सीपी योगेश्वर के लिए पिच तैयार कर रहे थे। ऐसे में अब येदियुरप्पा को शांत रखने के लिए उनके बेटे बीवाई राघवेन्द्र को कैबिनेट में जगह देना ही एक बेहतर कम्प्रोमाइज फॉर्मूला साबित होगा।
बेटे की खातिर जोखिमभरे दांवपेंच..
सियासत के दांव-पेंच जानने वाले बड़े नेता अपने रिश्तेदारों के लिए सुरक्षित सीटें सुनिश्चित करने के लिए लगातार अपने रसूख का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का अपने बेटे यतींद्र के प्रति प्यार उन्हें जोखिम भरे राजनीतिक दांवपेचों को चुनने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस चौंकाने वाली घोषणा के बाद कि वो बगलाकोट जिले के बादामी से चुनाव नहीं लड़ेंगे, सिद्धारमैया ने अपनी भौंहें चढ़ा लीं और कहा कि उनकी पसंदीदा सीट कोलार थी। हालांकि, पार्टी द्वारा किए गए सर्वे में कोलार को एक जोखिम भरा प्रस्ताव बताया गया है। लेकिन सिद्दारमैया वरुणा का प्रतिनिधित्व करने वाले अपने बेटे यतींद्र के लिए दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित करना चाहते हैं। यही वजह है कि वो कोलार को ही चुन रहे हैं। बादामी मैसूर में उनके होमटाउन से काफी दूर है। ये बात तो सभी जानते हैं कि सिद्धारमैया के पास सोने का दिल है, लेकिन क्या उन्हें कोलार में सोना जीतने में कामयाबी मिलेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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विविधता में एकता..
तमिलनाडु हाउस राज्यपाल आरएन रवि के खिलाफ खड़ा हो गया। जैसे ही विरोध के स्वर सुनाई देने लगे, डीएमके नेतृत्व ने फौरन इसे बंद करने के निर्देश दिए। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अचानक से डीएमके का यू-टर्न लेना, दरअसल दिल्ली के प्रकोप से बचने का रास्ता था। लेकिन इसके अलावा भी एक गहरी रणनीति है, जिसे डीएमके इस विरोध के जरिए खेल रही है। दरअसल, डीएमके का लक्ष्य दक्षिण भारत में सभी विपक्षी दलों को अपने चंगुल में रखना है। डीएमके पहले ही इस बात का ऐलान कर चुकी है कि वो सिर्फ 55 प्रतिशत लोकसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। ऐसे में DMDK और PMK जैसे दूसरे विपक्षी दलों के लिए कई सीटें बचती हैं। कुल मिलाकर डीएमके ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसके अलावा राज्यसभा की खाली हो रही 4 सीटें भी पार्टी के लिए अच्छा संकेत हैं।
पड़ोसी की जलन..
क्या तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में राजनीतिक प्रवेश के लिए प्रेरित किया जा रहा है? पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के इशारे पर पवन कल्याण की जनसेना पार्टी को कमजोर करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। चंद्रशेखर राव की आंध्र प्रदेश में राजनीतिक एंट्री का उन्हें फायदा भी मिल रहा है। आंध्र प्रदेश से बीआरएस में एंट्री लेने वाले रवेला किशोर बाबू और थोटा चंद्रशेखर भी जनसेना पार्टी से हैं। बीजेपी की पूर्व मुखिया कन्ना लक्ष्मी नारायण भी आंध्र में बीआरएस की एंट्री को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रखती हैं। बता दें केसीआर की योजना पवन कल्याण के गठबंधन को अस्त-व्यस्त कर देने की है। उन्हें लगता है कि अगर जनसेना, टीडीपी और बीजेपी हाथ मिला लें तो एक संयुक्त लड़ाई लड़ी जा सकती है। केसीआर पवन कल्याण के सत्ता विरोधी वोटों को साथ रखने की कोशिशों को नाकाम कर रहे हैं। अगर केसीआर इसमें सफल होते हैं, तो वे एक बार फिर जगन रेड्डी की जीत सुनिश्चित करेंगे। लेकिन विपक्ष की नैया डगमगाकर वे खुद तैरेंगे या डूबेंगे, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।
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गरीब पार्टी के अमीर कार्यकर्ता..
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार कहा था कि उनकी पार्टी के पास बैंक में केवल 47,000 रुपए हैं। लेकिन केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा की गई छापेमारी में टीएमसी के कुछ वरिष्ठ साथियों के यहां करोड़ों रुपए बरामद हुए। हाल ही में आयकर विभाग के छापे में टीएमसी विधायक जाकिर हुसैन के पास से 15 करोड़ रुपए बरामद किए गए। हालांकि, जाकिर हुसैन का कहना था कि ये पैसा उन्होंने व्यावसायिक गतिविधियों से कमाया है। हुसैन ने ऐसा कह तो दिया, लेकिन अपने अलग-अलग ठिकानों से मिले पैसे को सही ठहराने के लिए वो आय संबंधी जरूरी दस्तावेज नहीं दिखा सके। लेकिन टीएमसी ने अपने कार्यकर्ता का बचाव करते हुए हुसैन के बहाने को पहली नजर में सही ठहराया है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि इस तरह की छापेमारी जानबूझकर तृणमूल कांग्रेस की छवि खराब करने के लिए की जा रही है। घोष बाबू ने हुसैन का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने ये पैसा अपने मजदूरों को मजदूरी देने के लिए रखा था।
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