सार
जब कोर्ट को पता चला कि बगैर किसी लाइसेंस के ही 2.5 साल से गेमिंग जोन का संचालन हो रहा है तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे गुजरात सरकार पर यकीन नहीं रहा जोकि पीएम नरेंद्र मोदी के बीजेपी द्वारा कंट्रोल की जाती है।
Rajkot Gaming Zone fire case: राजकोट में टीआरपी गेमिंग जोन में भयानक आग से जिंदा जले 12 बच्चों सहित 28 लोगों के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। जब कोर्ट को पता चला कि बगैर किसी लाइसेंस के ही 2.5 साल से गेमिंग जोन का संचालन हो रहा है तो कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि उसे गुजरात सरकार पर यकीन नहीं रहा जोकि पीएम नरेंद्र मोदी के बीजेपी द्वारा कंट्रोल की जाती है। कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा: क्या आप अंधे हो गए हैं? क्या आप सो गए? अब हमें स्थानीय प्रणाली और राज्य पर भरोसा नहीं है। नाराज अदालत ने कहा कि पिछले चार साल से लगातार आदेश के बाद छह घटनाएं हो चुकी। लोग मर रहे क्योंकि राज्य मशीनरी काम नहीं कर रही हैं।
गुजरात सरकार को कोर्ट के गुस्से का करना पड़ा सामना
गुजरात के राजकोट में स्थित एक गेमिंग जोन में भयंकर आग 25 मई को लग गई। आग की वजह से अंदर 12 बच्चों सहित 28 लोग जिंदा जल मरे। इस आग की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अधिकतर शवों की पहचान भी मुश्किल है। इन शवों की पहचान के लिए अब डीएनए सैंपलिंग का सहारा लिया जा रहा है।
इस हादसा का स्वत: संज्ञान लेते हुए गुजरात हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के सामने जब कई भयावह लापरवाहियां सामने आई तो वह बिफर पड़ा। नगर निगम से लगायत राज्य सरकार को जमकर फटकारा। दरअसल, कोर्ट को बताया गया कि 24 महीने से अधिक समय से गेमिंग जोन संचालित हो रहा था लेकिन उसने न तो फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लिए थे न ही अन्य आवश्यक परमिट उसके पास थे। क्रोधित कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि दो गेमिंग जोन फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र सहित आवश्यक परमिट के बिना 24 महीने से अधिक समय से चल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वह अब राज्य सरकार पर भरोसा नहीं कर सकती है जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीजेपी के नियंत्रण में है।
गेमिंग जोन में क्या निकाय अधिकारी खेलने गए थे: कोर्ट
राजकोट नगर निकाय ने कोर्ट में कहा कि हमारी मंजूरी नहीं ली गई थी तो कोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि यह ढाई साल से चल रहा है। क्या हम मान लें कि आपने आंखें मूंद ली हैं? आप और आपके अनुयायी क्या करते हैं? कोर्ट ने गेमिंग जोन में नगर निकाय के अधिकारियों के फोटोज देखकर बिफरते हुए कहा कि ये अधिकारी कौन थे? क्या वे वहां खेलने गए थे?
राज्य सरकार से कहा-क्या आप अंधे हो गए हैं?
इसके बाद राज्य सरकार से कहा: क्या आप अंधे हो गए हैं? क्या आप सो गए? अब हमें लोकल सिस्टम और राज्य पर भरोसा नहीं है। कोर्ट ने कहा कि चार साल से हम सरकार को इस तरह की पूर्व की घटनाओं को देखते हुए कई निर्देश दिए लेकिन इसके बाद भी राज्य ने कुछ नहीं किया और छह घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं।
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता मनीषा लव कुमार शाह ने स्वीकार किया कि अहमदाबाद में दो अन्य गेमिंग जोन को संचालित करने की अनुमति नहीं थी। ऐसे सभी मुद्दों की जांच करने और 72 घंटों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। राज्य ने कहा कि कोई भी गेमिंग जोन ऐसे प्रमाणपत्र के बिना नहीं खुल सकता। इस पर फिर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए पूछा कि तब राजकोट में इस नियम का पालन क्यों नहीं किया गया था।
सरकार ने कोर्ट को कार्रवाई के बारे में आश्वस्त करने का प्रयास करते हुए कहा कि तीन मालिकों को अरेस्ट कर लिया गया है। बाकी को जल्द हिरासत में ले लिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने अतीत की कई घटनाओं की ओर भी इशारा किया और कहा: हमने पिछले चार साल में कई फैसले और निर्देश दिए हैं। उसके बाद भी राज्य में छह घटनाएं हुईं। कोर्ट ने कहा कि राज्य की मशीनरी काम ही नहीं कर रही है जिस कारण लोग मर रहे हैं।
कोर्ट ने याद दिलाया कि 2023 के बाद से गुजरात में आग से जुड़ी कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। नवंबर में सूरत की एक रासायनिक फैक्ट्री में आग लगने से सात लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए। कुछ दिन पहले शहर के एक मल्टीप्लेक्स में आग लगने से संपत्ति नष्ट हो गई और दो कर्मचारी घायल हो गए। जुलाई में अहमदाबाद के एक अस्पताल में आग लग गई थी जिसके कारण 125 मरीजों को अस्पताल से बाहर निकालना पड़ा था। मई में शहर के एक औद्योगिक क्षेत्र में पटाखों की दुकानों में भी भीषण आग लग गई थी। मार्च में सूरत के एक अस्पताल में आग लगने से एक शिशु की मौत हो गई। शनिवार को राजकोट गेमिंग जोन में भीषण आग लगने से 28 मौतें हुईं।
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