नए FDTL नियमों में गलत कैलकुलेशन के कारण इंडिगो बड़े संकट में फंस गई और 1,000 से अधिक फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं। देशभर के एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मच गई। एविएशन मिनिस्ट्री ने सख्त जांच के आदेश दिए और DGCA ने अस्थायी राहत प्रदान की। 

नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले चार दिनों से एक बड़े ऑपरेशनल संकट में फंसी हुई है। नई FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियमों, पायलट-रोस्टरिंग की भारी गड़बड़ी और कंपनी की गलत कैलकुलेशन की वजह से 1,000 से ज़्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी हैं। देश भर में लाखों यात्री फंसे हुए हैं, एयरपोर्ट्स पर अफरातफरी है और टिकटों के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार ने अब इंडिगो के खिलाफ फॉर्मल जांच, FDTL नॉर्म्स को अस्थायी तौर पर रोकने और एयरलाइंस के किराए बढ़ाने पर रोक लगाने की घोषणा की है। लेकिन सवाल ये है कि दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली एयरलाइन में इतना बड़ा संकट आखिर हुआ कैसे?

क्या FDTL नियमों ने इंडिगो को झटका दिया?

1 नवंबर 2025 से लागू हुए FDTL के दूसरे चरण में यह आवश्यक हो गया कि पायलटों को अधिक आराम दिया जाए, रात में कम लैंडिंग की जाए और लगातार उड़ानों के बीच आराम का समय बढ़ाया जाए। जबकि बाकी एयरलाइंस ने इन बदलावों के मुताबिक समय रहते अपने शेड्यूल सेट कर लिए, इंडिगो ने ऐसा नहीं किया। एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू के शब्दों में “इंडिगो ने क्रू की जरूरतों का गलत अनुमान लगाया। यही वजह है कि इनके ऑपरेशन 3 दिसंबर से टूटने लगे।” यानी कंपनी ने नए नियमों के तहत कितने पायलट चाहिए होंगे, इसका गलत कैलकुलेशन किया। नतीजा- उड़ानें बिना क्रू के रह गईं। रात की फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं और शेड्यूल चेन-रिएक्शन की तरह ध्वस्त होता गया।

1,000 फ्लाइट्स कैंसिल कैसे हुईं? कौन से एयरपोर्ट सबसे ज्यादा प्रभावित रहे?

शुक्रवार और शनिवार को भारत में इंडिगो की हालत सबसे खराब रही।

सबसे ज्यादा कैंसिलेशन:

दिल्ली-106 फ्लाइट्स

मुंबई -109 फ्लाइट्स

बेंगलुरु-124 फ्लाइट्स

हैदराबाद-69

पुणे-42

चेन्नई-30

अहमदाबाद-19

जम्मू और श्रीनगर में तो हालात इतने खराब हो गए कि कई यात्रियों ने बिना किसी अपडेट के 9-9 घंटे तक इंतजार किया। कुछ लोगों के चेक-इन बैग एयरपोर्ट के बाहर ही ढेर की तरह रख दिए गए थे। इस दौरान एक यात्री ने कहा कि “हमें पता ही नहीं था कि फ्लाइट चलेगी भी या नहीं। न मैसेज आया, न जानकारी।”

किराए 4,000 से बढ़कर 90,000 तक क्यों पहुंचे?

इंडिगो देश के घरेलू एयर ट्रैफिक का दो-तिहाई हिस्सा संभालता है। इसलिए जैसे ही इंडिगो ने सैकड़ों उड़ानें रद्द कीं, बाकी एयरलाइंस ने किराया बढ़ा दिया।

उदाहरण:

  • कोलकाता–मुंबई (स्पाइसजेट): ₹90,000
  • मुंबई–भुवनेश्वर (एयर इंडिया): ₹84,485

ट्रैवल एक्सपर्ट्स ने इसे “ब्लैक मार्केटिंग” कहा और सरकार से किराए पर कैप लगाने की मांग की।

सरकार का इमरजेंसी एक्शन: क्यों रोके गए FDTL नियम?

यात्रियों का गुस्सा बढ़ते देख सरकार हरकत में आई। मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने FDTL नॉर्म्स को अस्थायी रूप से रोक दिया। DGCA को निर्देश दिया कि इंडिगो की दैनिक निगरानी की जाए।एयरलाइंस को चेताया कि कोई भी किराया बढ़ाकर फायदा न उठाए। इंडिगो को ऑटो रिफंड, फ्री रीबुकिंग, होटल स्टे की सुविधा देने को कहा है। सरकार ने 24x7 कंट्रोल रूम भी सक्रिय किया है ताकि यात्रियों को तुरंत सहायता मिल सके।

सरकार क्यों आई बीच में? क्या इंडिगो पर एक्शन होगा?

मिनिस्ट्री ने तुरंत स्टेप लिए-

  • जांच समिति गठित
  • FDTL नियमों को अस्थायी रूप से रोक दिया
  • एयरलाइंस को किराया न बढ़ाने की चेतावनी
  • यात्रियों के लिए 24×7 कंट्रोल रूम
  • हॉस्पिटैलिटी और फुल रिफंड के आदेश
  • DGCA टीमों को एयरपोर्ट पर तैनात किया गया

मिनिस्टर का दावा है कि “तीन दिनों में स्थिति सामान्य हो जानी चाहिए।”

क्या इंडिगो के CEO ने जिम्मेदारी ली?

इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स ने कहा कि कंपनी अपने सिस्टम को “रीबूट” कर रही है। उन्होंने दावा किया कि शनिवार से स्थिति सुधरेगी। 10–15 दिसंबर के बीच ऑपरेशन नॉर्मल हो जाएंगे। हालांकि एविएशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतने बड़े ब्रेकडाउन के बाद रिकवरी में कम से कम 2 हफ्ते लग सकते हैं। बसे बड़ा सवाल: क्या यह सिर्फ प्लानिंग की गलती थी या किसी और बड़े संकट की तरफ इशारा? विशेषज्ञों के मुताबिक, इंडिगो का यह क्राइसिस भारत के विमानन सेक्टर के कुछ छिपे हुए मुद्दों को सामने लाता है:

  • पायलटों की राष्ट्रीय स्तर पर कमी
  • शेड्यूलिंग का ओवर-ऑप्टिमाइजेशन
  • एक ही एयरलाइन पर अत्यधिक निर्भरता
  • सिस्टम में कम्युनिकेशन की खराबी

इंडस्ट्री जानकार चेतावनी दे रहे हैं कि इस घटना को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अगर वही गलती किसी दूसरे एयरलाइन के साथ होती, तो देश की हवाई सेवा पूरी तरह रुक सकती थी।