सार
न्यायालय ने पाया कि चुनाव के बाद की हिंसा का निरीक्षण करने के लिए नियुक्त समिति द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने में विभिन्न अधिकारी विफल रहे हैं। साथ ही, हिंसा में घायल हुए कई लोगों को अपने इलाज में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर कोलकाता हाईकोर्ट सख्त हो गया है। हाईकोर्ट ने पाया है कि राज्य में हिंसा हो रही थी और सरकार लगातार इससे इनकार करती रही। लोग मर रहे थे, महिलाओं की आबरू लूटी जा रही थी, यहां तक कि छोटी बच्चियों तक को हिंसा में नहीं बख्शा गया।
कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार लोगों में विश्वास पैदा करने में असफल साबित हुई है। हिंसा के पीड़ितों में डर का माहौल खत्म करने में अक्षम है। कोर्ट ने पाया कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में कई लोग मारे गए और यौन हिंसा भी हुए, काफी लोगों को गंभीर चोटें आई।
कोर्ट ने पाया है कि हिंसा में काफी संपत्तियों का नुकसान हुआ और लोग पड़ोसी राज्य में पलायन को मजबूर हुए। लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने राज्य में ऐसा माहौल नहीं बना पाया है जो पीड़ितों के अपने घर वापस लौटने या अपना व्यवसाय जारी रखने का विश्वास पैदा कर सके।
एफआईआर हुए लेकिन न गिरफ्तारी हुई न जांच सही हो सका
कोर्ट के अनुसार हिंसा के बाद कुछ जघन्य अपराधों में एफआईआर तो दर्ज हुए लेकिन न किसी की गिरफ्तारी हुई न ही केस की जांच सही तरीके से की गई। लोग ऐसे डर में जी रहे हैं कि एफआईआर तक कराने नहीं जा रहे हैं। कोर्ट ने आदेश दिया तब जाकर लोग एफआईआर कराने जा सके।
गुंडों ने राशन कार्ड तक छीन लिए
न्यायालय ने पाया कि चुनाव के बाद की हिंसा का निरीक्षण करने के लिए नियुक्त समिति द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने में विभिन्न अधिकारी विफल रहे हैं। साथ ही, हिंसा में घायल हुए कई लोगों को अपने इलाज में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ को अपना राशन प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके राशन कार्ड गुंडों से छीन लिए गए हैं।
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