सार

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने सवाल किया है कि क्या सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे डीएमके नेता ए राजा के जहर भरी भाषा से सहमत हैं।

लेखक प्रेम शुक्ल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा। वंशवाद द्वारा पोषित इंडि अलायंस के सदस्य द्रविड़ मुनेत्र कजगम के नेता ए राजा हैं। उन्होंने इसी सप्ताह एक बार फिर सनातनियों के आराध्य प्रभु श्री राम और भारत राष्ट्र के विरोध में जहर उगला। इंडि अलायंस जैसे गठबंधन सिर्फ दो सूत्री एजेंडे पर चलते हैं। एक तो अपने आकाओं को खुश करो जो सनातन धर्म से नफरत करते हैं और दूसरा हद से ज्यादा जनता के पैसे की लूट। 2जी घोटाले के अभियुक्त डीएमके सांसद ए राजा लगातार सनातन धर्म का अपमान करके वही कर रहे हैं। अब तो वह एक भ्रामक सिद्धांत के जरिए "जय श्री राम" और "भारत माता की जय" कहने वाले हर भारतीय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए एक कदम और आगे बढ़ गए हैं।

ए राजा ने कहा कि "भारत एक राष्ट्र है ही नहीं। इस बात को अच्छे से समझ लें। भारत कभी एक राष्ट्र था ही नहीं। भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है। यहां तमिल एक राष्ट्र और एक देश है। मलयालम एक भाषा, एक राष्ट्र और एक देश है। ओडिशा एक राष्ट्र, एक भाषा और एक देश है। ये सभी राष्ट्र मिलकर भारत बनाते हैं तो भारत देश नहीं है। यह एक उपमहाद्वीप है।"

सनद रहे कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने भी संसद में कहा था कि भारत एक राष्ट्र नहीं है बल्कि राज्यों का संघ है। अपनी वर्तमान यात्रा में भी उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के राज में युवक दिनभर मोबाइल पर रील देखेंगे और 'जय श्री राम !' बोलकर भूखे मरेंगे। पहले भी राहुल गांधी सनातन, हिंदू और मंदिरों की आस्था पर जहर उगलते रहे हैं।

ए राजा ने इस बार हमला बोला कि अगर आप कहेंगे कि ये (राम) आपके ईश्वर हैं और भारत माता की जय, तो हम उस ईश्वर और भारत माता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। कह दो इनको, हम सब राम के शत्रु हैं। मुझे रामायण और भगवान राम पर विश्वास नहीं है। राजा ने भगवान हनुमान की तुलना बंदर से करते हुए 'जय श्री राम' के नारे को घृणास्पद बताया। भगवान् राम को मानने वाले श्रद्धालुओं को ए राजा ने छी और इडियट कहा। ए राजा का बयान ऐसे समय में सामने आया है जब 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को सनातन विरोधी बयानबाजी पर फटकार लगाते हुए कहा था कि उन्हें अपने बयान के नतीजे पता होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और अब आप राहत मांग रहे हैं। आप आम आदमी नहीं हैं, राजनेता हैं।"

सवाल है कि क्या सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे द्रमुक नेताओं की जहर भरी भाषा से सहमत हैं? क्या अरविंद केजरीवाल इस पर चुप्पी साधे रहेंगे? क्या अखिलेश यादव राम के अपमान को ही अपना राजनीतिक मंत्र मानते हैं? क्या लालू प्रसाद यादव और उनके परिजन राम के अपमान में ही अपना राजनीतिक भविष्य पाते हैं? क्या ममता बनर्जी राम को गालियां देकर ही शांडिल्य गोत्र की ब्राह्मणी सिद्ध होंगी? क्या द्रमुक अन्य पंथों के देवताओं के खिलाफ ऐसी अपमानजनक टिप्पणियां करने का दुस्साहस करेगा?

द्रमुक सांसद ए राजा इससे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने पिछले साल 6 सितंबर को चेन्नई में सनातन धर्म की तुलना एचआईवी और कोढ़ से की थी। जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे और मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की थी।

ए राजा ने कहा, "मलेरिया और डेंगू से न तो घृणा का भाव जुड़ा है और न ही इन्हें सामाजिक अपमान माना जाता था। हम कुष्ठ और एचआईवी को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। इसे (सनातन धर्म) भी एक ऐसी बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए। एचआईवी और कोढ़ की तरह हमें सनातन को भी मिटाना है।"

एक अन्य द्रमुक सांसद डॉ. सेंथिल कुमार ने 5 दिसंबर को लोकसभा में कहा कि भाजपा की ताकत केवल हिंदी बेल्ट के उन राज्यों को जीतने में ही है, जिन्हें हम आमतौर पर गोमूत्र राज्य कहते हैं। दक्षिण के राज्यों में भाजपा को घुसने नहीं दिया गया है। द्रमुक सांसद दयानिधि ने भी बयान दिया कि यूपी-बिहार के हिंदी बोलने वाले लोग हमारे राज्य में आकर टॉयलेट और सड़क साफ करते हैं। वे सिर्फ हिंदी सीखते हैं। उन्हें अंग्रेजी बोलनी नहीं आती। जो अंग्रेजी सीखते हैं, वे आईटी कंपनियों में अच्छी नौकरी करते हैं।

राजद के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर यादव भी आए दिन सनातन के विरोध में जहर उगलते रहते हैं। कल तक समाजवादी पार्टी में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने तो जैसे सनातन के विरोध में जहर उगलने को ही अपना राजनीतिक सिद्धांत बना रखा है। आम आदमी पार्टी के राजेंद्र गौतम बारंबार सनातन को अपमानित करने का प्रयास करते हैं। मसला सिर्फ सनातन के विरोध का नहीं है बल्कि इंडि एलायंस के दल आए दिन देश के इस्लामीकरण के षड्यंत्र का भी समर्थन करते हैं। केरल विश्वविद्यालय में कम्युनिस्टों के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने छात्रों के जमावड़े का नामकरण 'इंतिफिदा' किया । इंतिफिदा अरबी का शब्द है जिसका प्रयोग फिलिस्तीन में सशस्त्र विद्रोह के समर्थन में किया गया है। इसराइल के खिलाफ आतंकी संगठनों ने सशस्त्र हिंसा को इंतिफिदा का नाम दिया।

अब केरल विश्वविद्यालय में वार्षिक समारोह का नाम इंतिफिदा देने का क्या औचित्य है? इसी तरह बंगाल में संदेशखाली में शेख शाहजहां ने दलित समुदाय की महिलाओं का शोषण किया और उनकी जमीनों पर कब्जा किया। जो हरकतें 1946-47 में नोआखली में मुसलमानों ने शाहिद सुहरावर्दी के नेतृत्व में हिंदुओं को भगाने के लिए किया, वही आज ममता बनर्जी के शासन में तृणमूल कांग्रेस के मुस्लिम गुंडे कर रहे हैं और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद भी शेख शाहजहां जैसे अपराधियों की कस्टडी बंगाल की सरकार सीबीआई को देने के लिए तैयार नहीं होती।

यही हाल झारखंड का है। झारखंड के रामगढ़ जिले में इन दिनों एक सेना के खौफ में मुस्लिम महिलाएं जी रही हैं। इस सेना का नाम है आदम सेना। आरोप है कि आदम सेना के लोग मुस्लिम महिलाओं पर जबरन शरिया कानून थोप रहे हैं और उसकी आड़ में घरों में घुसकर मुस्लिम युवतियों से छेड़खानी कर रहे हैं। आदम सेना के लोग मुस्लिम युवतियों को हिन्दू पुरुषों से बात करने और बुर्का नहीं पहनने पर कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं। आरोप है कि सेना की बात नहीं मानने पर मुस्लिम युवतियों को रेप कर फेंक देने और जान से मारने की धमकी दी जा रही है। जिले के रजरप्पा थाने में अर्जी देकर एक मुस्लिम युवती ने आदम सेना के लोगों से बचाने की गुहार लगाई है। आदम सेना के जिहादियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय झारखंड की पुलिस इसे जमीन विवाद का मामला बताती है। थाने में शिकायत दर्ज करने वाली युवती का आरोप है कि गांव के ही साबिर अली नाम के शख्स ने दिसंबर 2023 में उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की थी। महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि जब उसने शोर मचाया तो उसके साथ मारपीट की गई। कार्रवाई के नाम पर आदम सेना से जुड़े युवक उनके घरों में ताला जड़ दे रहे हैं। शरिया कानून का पालन नहीं करने पर युवतियों को गांव से बाहर करने की भी धमकी दे रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के मुताबिक, आदम सेना के 'लोगो' में दहाड़ता हुआ शेर दिखाया गया है और तिरंगे को भी जगह दी गई है। एक शिकायत के अनुसार स्वयं को आदम सेना का सदर व सदस्य बताने वाले सलमान व अहमद ने घर में घुसकर एक युवती के साथ छेड़खानी की। संगठन के युवकों ने यह भी कहा कि हमलोगों में शरिया कानून चलता है। हमलोग प्रशासनिक कार्रवाई को नहीं मानते हैं। कहीं भी शिकायत करो, कोई कुछ नहीं कर सकता है। एक पीड़िता निकहत ने कहा कि शरिया कानून बताकर मेरे परिवार को परेशान व प्रताड़ित किया जा रहा है। पुलिस-प्रशासन से न्याय नहीं मिल रहा है। प्रशासन की ओर से संगठन पर कार्रवाई नहीं हुई।

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एक तरफ इंडि एलायंस के बगलबच्चा दल सनातन, हिंदुत्व और भारत की संप्रभुता को चुनौती देते हैं और दूसरी तरफ कट्टरपंथी जिहादी शक्तियों को प्रश्रय। 1940 के दशक में जब अंग्रेजों को विश्वास हो गया कि वे अब भारत को लंबे समय तक परतंत्र नहीं रख सकते तब उन्होंने हिंदुओं का उत्पीड़न और मुस्लिम अलगाववादियों को पुरस्कृत करना प्रारंभ किया था। आज औपनिवेशिक अंग्रेजों के वारिस कांग्रेसी इस सूत्र का पालन कर रहे हैं। उन्हें पता है कि अब विकसित भारत को नहीं रोका जा सकता और ना ही हिंदुत्व को दबाया जा सकता है, तब वे एक बार फिर सनातन राष्ट्र को कलंकित तथा जिहादी शक्तियों को पुरस्कृत करने की नीति पर अमल कर रहे हैं।