सार
गुरुवार को हिंसात्मक झड़प तब शुरू हुई जब बिष्णुपुर में मैतेई महिलाओं ने बफर जोन को पार करने की कोशिश की। असम राइफल्स के जवानों ने मैतेई महिलाओं को रोकने की कोशिश की तो अचानक से पथराव शुरू हो गया।
Manipur Violence brokeup again: मणिपुर में एक बार फिर गुरुवार को हिंसक झड़प हुई। हिंसा में कम से कम 20 लोग घायल हो गए हैं। हिंसा राज्य के बिष्णुपुर में हुई। सुरक्षा बलों और मैतेई समुदाय के बीच हुई इस झड़प में सुरक्षाबलों की ओर से हवाई फायरिंग की गई, आंसू गैस के गोले छोड़े गए। मणिपुर में हिंसा 3 मई को शुरू हुई थी। हिंसा मैतेई महिलाओं के कुकी क्षेत्र में घुसने से रोकने पर हुई।
मैतेई महिलाओं ने बफर जोन पार करने की कोशिश की
गुरुवार को हिंसात्मक झड़प तब शुरू हुई जब बिष्णुपुर में मैतेई महिलाओं ने बफर जोन को पार करने की कोशिश की। दरअसल, कुकी समाज के लोगों ने हिंसा में मारे गए लोगों के 35 शवों को चुराचांदपुर के टोइबुंग के शांति मैदान में दफनाने की बात कही थी। वह लोग 11 बजे शांति मैदान में शवों को दफनाने की तैयारी कर रहे थे। कुकी समुदाय के शवों को दफनाने के विरोध में बड़ी संख्या में मैतेई महिलाएं सुबह बिष्णुपुर के थोरबुंग गांव की ओर कूच की। दरअसल, थोरबुंग में कुकी और मैतेई इलाके के बीच एक बफर जोन है। बफर जोन में जाने से असम राइफल्स के जवानों ने मैतेई महिलाओं को रोकने की कोशिश की तो अचानक से पथराव शुरू हो गया। पथराव शुरू होते ही स्थितियां बिगड़ गई। असम राइफल्स ने जवाबी कार्रवाई में हवाई फायरिंग की और टियर गैस छोड़े। काफी मशक्कत के बाद भीड़ को असम राइफल्स ने तितर-बितर किया। इंफाल और पश्चिमी इंफाल के जिलों में कर्फ्यू में ढील दी गई थी लेकिन इस हिंसक झड़प के बाद उसे वापस ले लिया गया है।
हाईकोर्ट की संवेदनशीलता से एक बार फिर हिंसा की आग में जलने से बचा मणिपुर
मणिपुर में गुरुवार को शवों को दफनाने के मामले में मैतेई और कुकी समाज आमने-सामने आ गए थे। हालांकि, मणिपुर हाईकोर्ट की संवेदनशीलता ने दोनों समुदायों के बीच संभावित हिंसा को टाल दिया। पढ़िए कैसे सुबह 6 बजे ही बैठ गया कोर्ट…