सार

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत ट्रेनों और रेलवे परिसर में हुए अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। महज तीन साल में 4,718 मामले लूट के सामने आए तो 542 लोगों की हत्या कर दी गई।

नई दिल्ली. देश में यात्रा करने के लिए लोग सबसे ज्यादा रेलवे पर ही भरोसा करते हैं। लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोग ज्यादातर ट्रेन में यात्रा करते हैं। आम लोगों के लिए यह सुलभ सस्ता साधन है। पर अब एक रिपोर्ट में रेलवे की सुरक्षा पर सवाल उठ गए हैं। पिछले 2 सालों में चलती ट्रेन में महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या की घटनाएं सामने आई हैं। 
 
भीड़भाड़ वाली ट्रेनों और रेलवे परिसर में रेप की वारदातों की संख्या शर्मसार करने वाली है। महज 2 सालों में ट्रेनों और रेलवे परिसर में रेप के 165 मामले सामने आए। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत ट्रेनों और रेलवे परिसर में हुए अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। महज तीन साल में 4,718 मामले लूट के सामने आए तो 542 लोगों की हत्या कर दी गई।

आरटीआई में हुआ खुलासा

आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ की ओर से दायर आवदेन के जवाब में बताया गया है कि 2017-2019 के बीच रेप के 136 वारदातों को रेलवे परिसर में अंजाम दिया गया, जबकि 29 महिलाओं के संग घिनौना अपराध चलती ट्रेन में हुआ। 2017 में सामने आए 51 केसों के मुकाबले 2019 में कुछ कम 44 मामले सामने आए, जबकि 2018 में 70 महिलाओं के संग इस तरह की वारदात रेलवे परिसर में हुई।

पिछले साल सामने आए 44 केसों में 36 रेलवे परिसर में हुए तो 8 के संग वारदात ट्रेनों के अंदर हुई। 2018 में आए 70 केसों में 59 रेलवे परिसर में हुए तो 11 ट्रेनों के अंदर। 2017 में 51 महिलाओं संग यह अपराध हुआ, जिसमें 41 को रेलवे परिसर में शिकार बनाया गया और 10 महिलाओं संग चलती ट्रेनों में अपराध हुआ। इसी अवधि में रेप के अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1672 केस दर्ज हुए। इनमें से 802 रेलवे परिसर में हुए तो 870 महिलाओं के खिलाफ चलती ट्रेन में अपराध के मामले आए। 

रेलवे में कानून व्यवस्था पर सवाल?

तीन साल में 771 केस अपहरण के दर्ज हुए, जबकि 4,718 मामले लूट के हुए। 213 केस हत्या की कोशिश के हुए हैं तो 542 लोगों की हत्या कर दी गई। रेलवे में कानून व्यवस्था राज्य सरकारों का मामला है। 

रेलवे ने कुछ कदम उठाए हैं

ट्रेन परिसरों के साथ चलती ट्रेनों में अपराध को रोकना, मामले दर्ज करना, जांच और कानून व्यवस्था कायम करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, जिसे वह गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (GRP) और डिस्ट्रिक्ट पुलिस के जरिए अंजाम देती है। हालांकि, रेलवे ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाए हैं।

पिछले महीने एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने राज्य सभा में बताया था कि चिह्नित रूट्स और सेक्शन में 2,200 ट्रेनों में आरपीएफ सुरक्षा दे रही है, जबकि 2,200 ट्रेनों में जीआरपी सुरक्षा मुहैया करा रही है। सिक्यॉरिटी हेल्पलाइन 182 को ऑपरेशनल कर दिया गया है।